मन की बात में GST पर बोले PM मोदी

मन की बात में GST पर बोले PM मोदी
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 34 वें मन की बात रेडियो प्रसारण कार्यक्रम में लोगों को संबोधित किया। उन्होंने विभिन्न राज्यों में आने वाली बाढ़ को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बाढ़ से जनजीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। फसलों पशुधनों की हानि होती है। किसान भाईयों को निराशा होती है। हमने बाढ़ के हालात का सामना करने के लिए कंट्रोल रूम बनाया है और यह लगातार कार्य कर रहा है। प्रभावित स्थल पर एनडीआरएफ का दल कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर हम अपने कार्यकलापों की रचना करें। इससे कम से कम नुकसान होना संभावित है।

उन्होंने जीएसटी के मसले पर भी चर्चा की। उनका कहना था कि जीएसटी को लेकर लोग फोन कर रहे हैं। उन्होंने नीतू गर्ग का संदेश सुनाया। गुरूग्राम की नीतू गर्ग ने सवाल किया और पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जीएसटी को लागू हुए 1 माह हो गया है। अब इसके लाभ दिखाई देने लगे हैं। जीएसटी के कारण आखिर किस तरह से चीजें सस्ती हुई हैं। यह एक प्रमुख बात है। इससे कारोबार और आसान हो गया है। अब ग्राहकों का व्यापारियों के प्रति भरोसा बढ़ गया है। ट्रकों की गति बढ़ने से प्रदूषण कम हुआ है। अलग अलग टैक्स स्ट्रक्चर होने से कागजी कार्रवाई में ही काफी समय लग जाता था।

मगर अब जीएसटी से बहुत कम समय में स्मूथ ट्रांजिक्शन हो रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व के विश्वविद्यालयों के लिए भारत का यह बदलाव एक स्टडी बनेगा। सफलता के साथ जीएसटी को लागू करना और आगे बढ़ाना एक बड़ी उपलब्धी है। यह सभी राज्यों की जिम्मेदारी है। वन नेशन वन टैक्स यह बहुत महत्वपूर्ण है। भारत सरकार के अधिकारियों ने बड़ा परिश्रम किया है। जीएसटी भारत की सामूहिक शक्ति की सफलता का एक उदाहरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अगस्त 1920 में हुए असहयोग आंदोलन और 9 अगस्त 1942 को हुए भारत छोड़ो आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि इस वर्ष हम भारत छोड़ो, क्विट इंडिया मूवमेंट की 75 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो का नारा डाॅ. यूसूफ अली ने दिया था। यह बात कम ही लोग जानते हैं। उन्होंने कहा कि अगस्त के इस माह को अगस्त क्रांति के तौर पर जानते हैं। भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वाधीनता का एक महत्वपूर्ण आंदोलन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये दोनों आंदोलन महात्मा गांधी के अलग अलग रूप दर्शाते हैं। 1942 में महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा दे दिया। यह उनका अलग रूप था। सारा देश एक होकर लड़ रहा था। उन्होंने 1857 को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम बताया और कहा कि इस काल से 1942 तक स्वाधीनता के संकल्प में कोई कमी नहीं रही। देश हर पल अग्रेजी सत्ता को उखाड़ने के लिए प्रयास करता रहा। अंग्रेजों को 5 वर्ष की अवधि में ही भारत से जाना पड़ गया।

संकल्प से सिद्ध के 5 निर्णायक वर्ष के तौर पर देश को आजादी देने का काम हुआ। 1947 में हम आजाद हुए। आज 2017 है। लगभग 70 वर्ष हो गए हैं। इस अवधि में सरकारें आईं, बदलीं। इस अवधि में कई तरह के प्रयास हुए। सफलताऐं मिलीं। अपेक्षाऐं जगीं। उन्होंने कहा कि 2017 से 2022 तक की अवधि में यदि एक संकल्प लें। इस 15 अगस्त को हर भारतवासी संकल्प ले कि मैं देश के लिए व्यक्ति के तौर पर, परिवार के तौर पर, समाज के तौर पर यह करूॅंगा।

यदि ऐसा किया गया तो ये 5 वर्ष भारत के भविष्य के लिए निर्णायक बन सकते हैं। हमें संकल्प लेना है गंदगी, गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, संप्रदायवाद भारत छोड़ो। नए संकल्प के साथ नए भारत के साथ जुड़ने की आवश्यकता है। इस संकल्प को लेकर जीना और जूझना है। उन्होंने अपील की कि 9 अगस्त से हम संकल्प को लें। प्रत्येक भारतवासी, स्कूल व काॅलेज न्यू इंडिया के लिए संकल्प ले। सभी यह सोचें कि व्यक्ति के तौर पर मेरा क्या योगदान है। उन्होंने कहा कि लोग नए भारत के निर्माण के लिए तकनीक का उपयोग करें और इनोवेटिव तरह से आगे बढ़ें।

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