वाशिंगटन: पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार 27 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को सम्बोधित करते हुए कहा कि, "भारत हजारों साल प्राचीन महान संस्कृति है, जिसकी अपनी जीवंत परंपराएं हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सपनों को अपने में समेटे हुए है. जनभागीदारी से जनकल्याण हमारा प्राण तत्व है. उन्होंने कहा कि हमने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं.''
विश्व के सामने खड़ी तमाम गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का आग्रह करते हुए पीएम मोदी ने 3000 वर्ष प्राचीन संगम युग के महान तमिल कवि और दार्शनिक कनियन पुंगुंदरनार के साथ ही स्वामी विवेकानंद के उद्धरणों को भी याद किया. तमिल कवि कनियन पुंगुदरनार के प्रसिद्ध उद्धरण ''याधुम ऊरे यावरुम केलिर'' का हवाला देते हुए कहा कि सीमा से अलग संबंधों की यह समझ भारत की विशिष्टता है. तमिल कवि की इस उक्ति का अर्थ ‘वसुधैव कुटुंबकम’ से है.
पीएम मोदी ने भारत के विकास व इसकी उपलब्धियों को विश्व के लिए प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया. इस दौरान मोदी ने कहा कि भारत की विकास गाथा पूरे विश्व के गरीबों में विश्वास उत्पन्न करने और दुनिया को एक नई उम्मीद देने का कार्य करती है. उन्होंने कहा, "विकास के प्रयास हमारे हैं, किन्तु इसका फल सभी के लिए है, संपूर्ण विश्व के लिए है."
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