नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी, 16 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे. पीएम मोदी के अतिरिक्त, सात अन्य पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी इस उच्च स्तरीय बैठक में हिस्सा लेंगे. यह शिखर सम्मेलन अफगानिस्तान के हालिया प्रकरण को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है. जहां, आतंकी संगठन तालिबान की वापसी और अमेरिकी सेना को 20 वर्ष बाद अफगानिस्तान छोड़ते हुए देखा गया. संभावना है कि इस मीटिंग में अफगानिस्तान के मुद्दे को प्रमुखता से शामिल किया जाएगा.
SCO शिखर सम्मेलन में आठ सदस्य राष्ट्र शामिल हैं, जिनमें रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान हैं. तजाकिस्तान इस समूह का मौजूदा अध्यक्ष है. यह बैठक 16 से 17 सितंबर तक राजधानी दुशांबे (Dushanbe) में हाइब्रिड मोड में आयोजित होगी. उम्मीद है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस सम्मेलन में वर्चुअली उपस्थित रहेंगे. पाकिस्तानी पीएम इमरान खान, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य मध्य एशियाई देश व्यक्तिगत रूप से इस बैठक में हिस्सा लेंगे. बीते दो महीनों में दुशांबे में SCO के विदेश, रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की कई मीटिंग्स हुई हैं.
अभी कुछ दिनों पहले BRICS देशों का 13वां शिखर सम्मेलन पूरा हुआ है, जिसकी अध्यक्षता भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी. यह दूसरी दफा है, जब भारत के पीएम मोदी ने BRICS के शिखर सम्मेलन का नेतृत्व किया. हालांकि, अफगान संकट के साये में हुए इस 13वें शिखर सम्मेलन ने कई मायनों में भारत की धाक जमा दी और तीन बातें स्पष्ट कर दी. पहली अफगान संकट को लेकर भारत अब केंद्र में है. दूसरी अमेरिका से करीबी को लेकर नाराज रहा रूस अब साथ खड़ा है और तीसरी यह कि अफगान संकट में चीन-पाक की चाल दुनिया समझ चुकी है.
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