नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में यांगून (म्यांमार) में ऑर्गनाइज 'संवाद- ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन कॉन्फ्लिक्ट अवॉयडेंस एंड एन्वॉयर्नमेंट कॉन्शेसनेस' के दूसरे एडिशन में दिए अपने वीडियो मैसेज में कहा है कि मुश्किल मुद्दों और विवादों को बातचीत के रास्ते सुलझाया जा सकता है. पीएम मोदी ने खुद को प्राचीन भारत की परंपरा में यकीन करने वाला बताने के साथ कहा है कि धार्मिक, रूढ़िवादी और पूर्वाग्रहों की गहरी जड़ों ने पूरी दुनिया में कम्युनिटीज को बांट दिया है, जिससे देशों और समाजों के बीच विवाद पैदा हुए हैं, इन्हें बातचीत के जरिये ही हल किया जा सकता है. इसके साथ पीएम ने दुनिया के सभी देशो को आपसी सामंजस्य में बंधे रहने का भी सन्देश दिया.
पीएम मोदी ने अपने वीडियो सन्देश में कहा कि 21वीं सदी में दुनिया के सभी देश एक-दूसरे से जुड़े हुए और एक-दूसरे पर निर्भर हैं. किंतु यह सदी आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन (climate change) जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रही है. मुझे भरोसा है कि इसका हल एशिया की सबसे पुरानी बातचीत और चर्चा की परंपरा से ही निकलेगा. तर्क शास्त्र (डिबेट) प्राचीन भारत का ही कॉन्सेप्ट है, बातचीत और चर्चा के जरिये इसे पाया गया और यह विवादों को खत्म करने और विचारों को एक-दूसरे से साझा करने का मॉडल बना.
बता दे कि पीएम मोदी ने यांगून (म्यांमार) में ऑर्गनाइज 'संवाद- ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन कॉन्फ्लिक्ट अवॉयडेंस एंड एन्वॉयर्नमेंट कॉन्शेसनेस' के दूसरे एडिशन में अपने वीडियो मेसेज के द्वारा कही है. यह प्रोग्राम रविवार को भी जारी रहेगा.
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