नईदिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी म्यांमार के दौरे के अंतिम दिन बागान व यांगून पहुॅंचेंगे। यहाॅं वे आज भारत के आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की दरगाह भी जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा वैश्विक आतंकवाद का सामना करने के लिए भारत द्वारा मुस्लिम राष्ट्रों से की जाने वाली अपील और अन्य मसलों को लेकर महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
गौरतलब है कि रंगून (यांगून) की यात्रा करने वाले भारतीय, जफर की दरगाह पर बड़े पैमाने पर जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह भी वर्ष 2012 में बहादुर शाह जफर की दरगाह पर पहुॅंचे थे। बहादुर शाह जफर की दरगाह 132 साल बाद 1994 में निर्मित हुई थी। वर्ष 1837 के सितंबर माह में वे अपने पिता अकबर शाह द्वितीय की मृत्यु के बाद बादशाह बने थे। उन्हें कविताओं में दिलचस्पी थी। उन्होंने ब्रिटिश राजव्यवस्था से 1857 में लोहा लिया था।
इस दौरान हुई क्रांति में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने गज़ल लेखन भी किया था। उनके बाद मुगल साम्राज्य समाप्त हो गया। वे 82 वर्ष के थे तब उन्होंने कैद में अपनी अंतिम सांसे लीं। उन्हें लेकर विशेष बात यह सामने आती है कि उन्होंने जली हुई तीलियों से गज़लें लिखी थीं। दिलचस्प बात यह है कि उनकी मृत्यु के 132 वर्ष बाद जब स्मारक कक्ष बनाने के लिए जब खुदाई की गई तो एक भूमिगत कब्र होने की जानकारी मिली। इस कब्र में बादशाह जफर की निशानी व अवशेष प्राप्त हुए। इसके बाद माना गया है कि यह कब्र अंतिम मुगल बादशाह की ही है।
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