राहत इंदौरी साहब की उम्दा शायरियां

राहत इंदौरी साहब की उम्दा शायरियां
Share:

1. अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे.


2. लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे.

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -