प्रख्यात कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज नहीं रहे

प्रख्यात कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज नहीं रहे
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प्रसिद्ध फिल्मी गीतों- शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, लिखे जो खत तुझे, ऐ भाई.. जरा देखकर चलो, दिल आज शायर है, खिलते हैं गुल यहां, फूलों के रंग से, रंगीला रे! तेरे रंग में और आदमी हूं- आदमी से प्यार करता हूं जैसे अमर नगमों के रचनाकार प्रख्यात कवि गोपाल दास नीरज अब हमारे बीच नहीं रहे. 94 साल के नीरज का लम्बी बीमारी के बाद गुरुवार को निधन हो गया. बीमारी के कारण उन्हें आगरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहा से उन्हें दिल्ली के एम्स में रेफेर कार दिया गया जहा उनका निधन हो गया. गोपालदास नीरज बॉलीवुड फिल्मों में, हिंदी साहित्य में और मंचीय कवि के रूप में देश भर में जाने जाते है ..

वो ख़त के पुरज़े उड़ा रहा था / गुलज़ार

उन्हें अपनी रचनाओं के लिए पद्मश्री सम्मान साल 1991 में,  2007 में पद्मभूषण, यूपी सरकार का यशभारती सम्मान दिया गया . एक दर्जन से भी अधिक कविता संग्रह लिखने वाले नीरज का जन्म 4 जनवरी, 1924 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ. 1970, 1971, 1972 में उन्हें फिल्म फेयर अवॉर्ड ने नवाज़ा गया. 

एक माँ की डायरी -अनुप्रिया

नीरज की प्रसिद्ध रचनायें- दर्द दिया है, आसावरी, बादलों से सलाम लेता हूँ, गीत जो गाए नहीं, कुछ दोहे नीरज के, नीरज की पाती, नीरज दोहावली, गीत-अगीत, कारवां गुजर गया, पुष्प पारिजात के, काव्यांजलि, नीरज संचयन, नीरज के संग-कविता के सात रंग ,-बादर बरस गयो, - मुक्तकी.

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शाम से आँख में नमी सी है -गुलज़ार

 

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