क्या जहरीली शराब कांड में पीड़ितों को मिल पाएगा उचित न्याय ?

क्या जहरीली शराब कांड में पीड़ितों को मिल पाएगा उचित न्याय ?
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चंडीगढ़: देश के राज्य पंजाब में जहरीली शराब से होने वाली मौतों के केस में भले ही प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच के निर्देश दे दिए हैं, किन्तु मृतकों के अभिभावकों को न तो न्याय की उम्मीद है, और न ही मुआवजा प्राप्त होने की. इलाके में शराब माफिया की दहशत के दौरान मृतकों के परिवार के सदस्य अपनी जुबान खोलने के लिए तैयार नहीं हैं. ग्राम पंडोरी गोला से प्राणघातक शराब गांव-गांव तक पहुंचाई गई. ग्राम मल्लमोहरी व पंडोरी गोला में दो ऐसी फैमिली हैं, जिसके पिता एवं बेटे की चिता एक साथ जली.

वही मुआवजा रकम के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट की खास भूमिका रहेगी. प्राणघातक शराब माफिया के खौफ का परिणाम यह है कि 42 से ज्यादा परिवारों ने कानूनी झमेले से दूर बनाते हुए, मृतकों के पोस्टमार्टम नहीं करवाए. शहर में दो दिन में सिर्फ 34 मृतकों के ही पोस्टमार्टम हुए हैं. प्राप्त सूत्रों के मुताबिक, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कानूनी कार्यवाही में यह बताया जाना था कि आखिर प्राण घातक शराब कहां से क्रय की गई. शहर में मौत की आधिकारिक संख्या 82 हो गई है. गांव में खुलेआम शराब विक्रय की जा रही है. मौत का व्यवसाय करने वाले इन लोगों को पुलिस का भी डर नहीं है.

इसलिए ज्यादातर परिवारों ने कानूनी जाँच से अपने हाथ पीछे कर लिए है. इन परिवारों को खौफ थी कि पोस्टमार्टम के लिए बयान देने के अवसर पर यदि पूछा गया कि प्राणघातक जाम कहां से क्रय किया था, तो शराब माफिया के साथ दुश्मनी हो सकती है. सरकारी हॉस्पिटलों में होने वाले पोस्टमार्टम की रिपोर्ट खरड़ लैब से मंगवाई जाती है. प्राणघातक शराब पीकर मरने वाले लोगों के विसरे निरिक्षण के लिए इसी लैब में भेजे जाने हैं. सामान्य रूप से शराब पीकर मरने वाले लोगों और धारा 174 की जांच में करवाए गए पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट 4 से 6 महीने तक लटकी रहती है. वही इस मामले पर अब जाँच की जा रही है.

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