इंदौर/ब्यूरो: पिछले दिनों इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़ा फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स के साथ रैगिंग का मामला सामने आया था। इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस हरकत में आ गई है। पुलिस ने अपने स्तर पर जांच शुरू की है। मामले में पुलिस के पास न तो पीड़ित स्टूडेंट्स के नाम हैं और न ही रैगिंग लेने वाले सीनियर्स स्टूडेंट्स के। इसके चलते पुलिस ने अपने स्तर पर जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में रैगिंग लेने वाले पांच स्टूडेंट्स के बारे में ठोस सबूत मिले हैं। दरअसल, इस मामले की शिकायत पीड़ित स्टूडेंट ने यूजीसी और एंटी रैगिंग कमेटी दिल्ली से की थी। इसमें छात्र ने रैगिंग करने वाले सीनियर्स की ऑडियो रिकॉर्डिंग, चैटिंग, स्क्रीन शॉट्स, लोकेशन सहित कई टेक्निकल इविडेंस भी सौंपे थे। चैटिंग व अन्य इविडेंस के आधार पर पुलिस ने पांच आरोपी स्टूडेंट्स के बारे में सूत्र हासिल किए हैं। पता चला है कि ये सभी यूजी के ही स्टूडेंट्स हैं लेकिन फिर भी पीजी स्टूडेंट्स को लेकर भी छानबीन की जा रही है। इसके साथ ही पीड़ित छात्र को बयान के लिए बुलाया गया है।
आपको बता दे की ये सभी साबुत अब पुलिस के पास हैं। वही पुलिस के लिए जांच की राह आसान होती दिखाई है। लेकिन एक-एक इविडेंस को अहम मानकर जांच कर रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को पुलिस की टीम कॉलेज पहुंची और प्रबंधन से चर्चा की। पुलिस ने प्रबंधन से बहुत से बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। इसके तहत प्रबंधन ने कुछ जानकारी तो दी है जबकि कुछ जानकारी एंटी रैगिंग कमेटी के सदस्यों से चर्चा करने के बाद जल्द उपलब्ध कराई जाएगी।
पुलिस ने प्रबंधन से सभी डे स्कॉलर्स व बेचेस की जानकारी मांगी है। ऐसे ही होस्टल के बाहर व अंदर परिसर के सीसीटीवी फुटेज भी मांगे हैं। इस पर बताया गया कि सीनियर्स ने हर बार अलग-अलग स्थानों खासकर फ्लैट में बुलाया था।
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