आजकल एक-एक छुट्टी के लिए बॉस के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है क्योंकि वह छुट्टी देने के नाम पर केवल 'बाबाजी की बूटी' दे सकते हैं. ऑफिस में एक छुट्टी के लिए एक महीने पहले से आपको मेल करना पड़ता है तब जाकर आपको छुट्टी मिलती है और वह भी फ़ालतू काम के लिए नहीं, अगर आपका काम सही है तो ही आपको छुट्टी मिलेगी वरना नहीं. आपको मेल में साफ़ और सॉलिड रीजन लिखना पड़ता है जिसके बाद ही बॉस उसे समझकर, पढ़कर आपको छुट्टी देने के लिए राजी होते हैं.
आप एक छुट्टी मांगते हो तो बॉस आपको आपके काम गिनवा देते हैं, कि यह काम कौन करेगा, वह काम कौन करेगा और भी बहुत कुछ, ऐसे में छुट्टी मिलने से तो रही. सोचिए जब बॉस एक छुट्टी नहीं देता तो अगर आप उनसे कहेंगे कि आपको 30 दिन की छुट्टी चाहिए तो तो वह आपको ऑफिस से ही निकाल कर बाहर फेंक देगा, लेकिन इन जनाब के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ. जी हम बात कर रहे हैं पुलिस स्टेशन में काम करने वाले एक हवलदार की.
जानकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश के महोबा पुलिस स्टेशन के एक हवलदार ने अपने अफसर से एक महीने की छुट्टी मांगी और जब उससे इसकी वजह पूछी गई तो उसने कहा कि उसे अपना परिवार बढ़ाना है जिसके लिए उसे समय चाहिए. इस बात को सुनते ही बॉस ने उसे एक महीने नहीं बल्कि 45 दिन की छुट्टी दे दी ताकि वह अपने परिवार को बढ़ा सके. अब अगर दुनिया के सारे बॉस ऐसे हो जाए तो दुनिया स्वर्ग बन जाएगी.
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