उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन में दो दिन पहले पुलिस द्वारा बीच सड़क पर बदमाशों का जुलूस निकाला गया था, जो अब विवादों में घिर गया है। शनिवार को पुलिस ने शहर के विभिन्न थाना क्षेत्रों में सूचीबद्ध अपराधियों का जुलूस निकालकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने की कोशिश की थी। किन्तु पुलिस की एक चूक की वजह से जुलूस में कुछ ऐसे लोग भी सम्मिलित हो गए, जिनका न तो कोई आपराधिक रिकॉर्ड है और न ही उन पर कोई आरोप सिद्ध हुआ है।
वही इस जुलूस में कोतवाली थाना पुलिस द्वारा कुशलपुरा निवासी एवं भाजपा मंडल अध्यक्ष विकास करपरिया को भी सम्मिलित कर लिया गया था। विकास ने जब इस घटना की जानकारी पार्टी पदाधिकारियों को दी, तो मामला गरमा गया। तत्पश्चात, पुलिस ने अपने दो पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच करने का फैसला लिया। हालांकि, पुलिस का दावा है कि उन्होंने केवल सूचीबद्ध अपराधियों को ही थाने में बुलाया था एवं कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद सभी को सुरक्षित छोड़ दिया था।
वही इस घटना के पीड़ित विकास करपरिया ने आरोपी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है तथा चेतावनी दी है कि यदि कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो वे आत्मदाह करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके साथ हुए इस अन्याय के लिए वे मानहानि का मामला भी दर्ज कराएंगे। इस पर क्षेत्रीय MLA ने इसे पुलिस की नासमझी का परिणाम बताया तथा मामले को शांत करने की कोशिश की है। इस घटना के पश्चात् यह सवाल उठ रहा है कि क्या पुलिस को बिना किसी आरोप सिद्ध हुए किसी को सार्वजनिक जुलूस में सम्मिलित करने का अधिकार है? घटना ने जनता और विपक्ष में रोष पैदा कर दिया है। लोगों का मानना है कि यदि ऐसा किसी आम व्यक्ति के साथ होता, तो शायद उसे न्याय नहीं मिल पाता।
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