भोपाल: कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) का नाम भी गिना जाता रहा है. मध्यप्रदेश के सीएम रह चुके दिग्विजय सिंह को दिग्गी राजा व अर्जुन सिंह के नाम से भी पहचाना जाता है. आइये आज आपको बताते है मध्य प्रदेश और देश के कद्दावर नेता, विधायक,सांसद और 2 बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह के बारे में...
राघौगढ के राजा बलभद्र सिंह के घर दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी 1947 को हुआ था. बलभद्र सिंह राघौगढ़ से विधायक रहे थे. राजनीतिक धरातल पर दिग्विजय सिंह की धाक पिछले पांच दशक से बनी हुई है. उनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत 1969-70 में शुरू हुई. जिसकी शुरुआत राघौगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष पद से हुई .गौरतलब है की उन्हें जनसंघ में शामिल होने का निमंत्रण भी मिला था .राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने उन्हें जनसंघ में शामिल होने के लिए कहा था. राघौगढ़ विधानसभा सीट पर दिग्विजय सिंह का परिवार 1977 से जीतता आ रहा है. दिग्विजय सिंह ने चार बार यहां से जीत हासिल की. उनके भाई लक्ष्मण सिंह और चचेरे भाई मूल सिंह भी इस सीट से दो बार विधायक बन चुके हैं. फिर 2013 में जब दिग्विजय के बेटे जयवर्धन राजनीति में आए तो अब जयवर्धन 2013 से इस विधानसभा सीट से विधायक हैं. वो 3 बार से यहाँ से चुनाव जीत चुके है
दिग्विजय सिंह का राजनीतिक करियर
तो शुरुआत होती है 1977 में जब वो पहले बार विधायक बने इसके बाद वो 1984 तक विधायक रहे और 1994 से 2008 के बीच भी विधायक रहे. वह दिसंबर 1993 से दिसंबर 2003 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहे. देश के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में भी पहुंचे. वह 1984 से 1989 तक और फिर 1991 से 1994 तक राजगढ़ सीट से सांसद रहे. 2014 से वह एमपी से राज्यसभा सांसद हैं.
कैसे दिग्विजय सिंह बने एमपी के सीएम?
दिसंबर 1993 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 320 में से 174 सीटें जीतीं. तमाम राजनैतिक प्रतिद्वंदियों को पछाड़कर दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने, माना जाता है की अर्जुन सिंह की अनुशंसा पर दिग्विजय को मुख्यमंत्री बनाया गया ,12 जनवरी 1998 को मध्य प्रदेश के मुलताई में तहसील कार्यालय के बाहर किसान एकत्र हुए थे. किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं. भीड़ नियंत्रण के क्रम में पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चला दीं. जिसमे 20 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. आपको बता दें कि इस घटना को बैतूल या मुलताई गोलीकांड के नाम से जाना जाता है. इसके बाद भी कांग्रेस को 1998 के चुनाव में जीत मिल गई
दिग्विजय सिंह का दूसरा कार्यकाल
1998 तक सोनिया गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुकी थीं. नवंबर 1998 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए.चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने 320 में से 172 सीटें जीती. मुख्यमंत्री के रूप में उनका दूसरा कार्यकाल बहुत से गलतियों के कारण याद किया जाता है. जिनमे संविदा पर कर्मचारियों की नियुक्ति ,सड़को की बदहाल हालत , बिजली आपूर्ति की खराब व्यवस्था जैसे मुद्दे थे जिसे बीजेपी ने मुद्दा बनाया. जिसके चलते 2003 के चुनाव में कांग्रेस की हार हुई. चुनाव हारने के बाद दिग्विजय 10 साल तक मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर रहे. केंद्र में संगठन का काम देखते रहे. राहुल गांधी से नज़दीकी बनाए रखी. 2014 से वह एमपी से राज्यसभा सांसद हैं.
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