आज़ाद भारत की प्रथम महिला सीएम और विख्यात स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून, 1908 को अंबाला, हरियाणा के एक बंगाली परिवार में हुआ था. सुचेता कृपलानी के पिता एस.एन. मजुमदार ब्रिटिश सरकार के अधीन एक डॉक्टर होने के बाद भी राष्ट्रवादी व्यक्ति थे. सुचेता कृपलानी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के इन्द्रप्रस्थ और सेंट स्टीफन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में व्याख्याता के पद पर कार्य करना आरंभ किया.
वर्ष 1936 में उनका विवाह आचार्य जीवतराम भगवानदास कृपलानी के साथ हुआ था. विवाह के पश्चात सुचेता सक्रिय तौर पर स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गईं. समकालीन महिलाओं जैसे अरुणा आसिफ अली तथा ऊषा मेहता की तरह सुचेता कृपलानी भी भारत छोड़ो आंदोलन के वक़्त स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गईं. भारत विभाजन के वक़्त जो दंगे हुए थे, उनमें सुचेता कृपलानी ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर काम किया था. भारत की संविधान समिति में जिन महिलाओं को शामिल किया गया था, सुचेता कृपलानी भी उन्हीं में से एक थीं.
भारत की आज़ादी के बाद सुचेता कृपलानी सक्रिय तौर पर उत्तर भारत की सियासत से जुड़ी रहीं. वर्ष 1952 में उन्हें लोकसभा का सदस्य और 1957 में नई दिल्ली विधानसभा का सदस्य बनाकर लघु उद्योग मंत्रालय दिया गया. 1962 में वह कानपुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य चुनी गईं. वर्ष 1963 में उत्तर-प्रदेश की सीएम बनाई गईं और इसके साथ ही उन्होंने देश की पहली महिला सीएम बनने जैसा गौरव अपने नाम कर लिया. 1967 में गोंडा विधानसभा क्षेत्र से चौदहवीं लोकसभा का चुनाव जीता. वर्ष 1971 में उन्होंने सियासत से संन्यास ले लिया था.
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