वोट बैंक के लिए सियासी दलों ने आतंकवाद को दिया बढ़ावा, 'जमात' पर कार्रवाई करने की इजाजत नहीं थी - कश्मीर के DGP का सनसनीखेज खुलासा

वोट बैंक के लिए सियासी दलों ने आतंकवाद को दिया बढ़ावा, 'जमात' पर कार्रवाई करने की इजाजत नहीं थी -  कश्मीर के DGP का सनसनीखेज खुलासा
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श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) रश्मि रंजन स्वेन (RR स्वेन) ने आतंक-राजनीति गठजोड़ पर हैरान कर देने वाला खुलासा किया है। DGP ने बताया  कि वोट पाने के लिए जम्मू कश्मीर में राजनीतिक दल ने यहाँ आतंक का नेटवर्क बढ़ाया और उनकेआका तैयार किए। उन्होंने बताया कि जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों पर एक्शन नहीं लेने दिया गया, जो निरंतर आंतकवाद के लिए पैसा और विचारधारा प्रदान कर रहे थे। बता दें कि, जमात-ए-इस्लामी आज़ादी के बाद से ही भारत में एक प्रमुख राजनितिक दल बना रहा। मुस्लिम  वोट बैंक पर अच्छी पकड़ होने के कारण, मुख्य धारा के सियासी दलों से भी इसके रिश्ते रहे, क्योंकि ये उन्हें वोट दिलवाता रहा और बदले में कश्मीर को आतंकवाद की आग में झोंकता रहा और सब चुप रहे। 2019 में मोदी सरकार ने इसकी गतिविधियों की जांच करवाई, आतंकवाद का समर्थन करने के आधार पर इसे प्रतिबंधित कर दिया।  

RR स्वेन ने इसी जमात-ए-इस्लामी की सच्चाई उजागर की है। वे सोमवार (15 जुलाई, 2024) को IIM में अपना संबोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि ,”ये एकदम हकीकत है कि पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के समाज के प्रत्येक वर्ग में घुसपैठ बना ली थी और इस दौरान सियासी दलों ने दोहरा खेल खेला। इस खेल से सुरक्षाबलों और आम जनता दोनों हैरान-परेशान रहे। राजनेताओं द्वारा आतंकियों के घरों में जाना और उनसे हमदर्दी दिखाना, आम बात हो चुकी थी। हालाँकि, नए आतंकियों को तो खत्म करने की छूट दी गई थी, मगर जो लोग इन आतंकियों की भर्ती कर रहे थे, उनमे मदद कर रहे थे, इनके लिए पैसा लाते थे, उनकी कभी जाँच नहीं की गई।” 

DGP ने बताया कि, “जमात-ए-इस्लामी ने आतंकवाद को वैचारिक और मजहबी मान्यता दे रखी थी, लेकिन उसे (जमात को) छूने तक नहीं दिया गया। जबकि सबको यह बात पता थी कि जमात ना सिर्फ सरकार के शान्ति प्रयासों को नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि कश्मीर में होने वाले अलगाववादी प्रदर्शनों में भी पैसा दे रही है।” DGP स्वेन ने पूर्व के हालातों का जिक्र करते हुए बताया कि उन लोगों पर कार्रवाई करना किसी अपराध की तरह बना दिया गया था, जो आए दिन भारत के खिलाफ जहर उगल रहे थे, तथ्यों को गलत रूप से पेश करके निरंतर अपना नैरेटिव चलाते थे और देश के खिलाफ प्रोपेगेंडा करते थे। DGP ने कहा कि यह सब कुछ जानबूझ कर किया गया जा रहा था।

उन्होंने दावा करते हुए कहा कि SP रैंक के कई अधिकारियों को आतंकियों के साथ जेल में ठूंस दिया गया, जबकि उनका कोई अपराध नहीं था। DGP स्वेन ने बताया कि 2013 में दो लड़कियों की पानी में डूबने से हुई मौत को, आतंक के नैरेटिव द्वारा हाइजैक कर लेने दिया गया, जिससे घाटी आतंकवाद का बंधक बनकर रह गई। DGP ने कहा कि, ”हालात यहाँ तक बिगड़ गए थे थी कि कश्मीर के सबसे प्रमुख सियासी दल ने अपने वोट बढ़ाने के लिए खुलकर आतंक के नेटवर्क और इसके आकाओं को बढ़ाने का काम शुरू कर दिया था। सरकार और सुरक्षाबलों के प्रयासों से ही बीते 6-7 सालों में इस स्थिति में बदलाव आया है।” बता दें कि, DGP स्वेन का यह खुलासा ऐसे वक़्त में आया है, जब कश्मीर में आतंकवाद पहले के मुकाबले काफी कम हुआ है और वहां जल्द ही विधानसभा चुनाव करवाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालाँकि, इन चुनावों में देरी भी हो सकती है, क्योंकि लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार की तीसरी जीत से बौखलाए आतंकियों ने बीते कुछ दिनों में हमले तेज किए हैं, अगर ये हमले जल्दी काबू नहीं होते तो चुनावों की तारीख पर इनका असर पड़ना तय है। 

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