नेपाल में राजनीतिक हालात खराब, सरकार अल्पमत में

नेपाल में राजनीतिक हालात खराब, सरकार अल्पमत में
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काठमांडू। नेपाल में राजनीतिक हालात बदल रहे हैं दरअसल यहां पर सरकार अल्पमत में नज़र आ रही है। नेपाल की सरकार गठबंधन की है। दरअसल सारा मामला संविधान संशोधन विधेयक पर हुए मतदान के दौरान चीफ जस्टिस सुशाला कार्की पर महाभियोग प्रस्ताव दायर करने के बाद हुआ। जिसके बाद सरकार ने गोपाल पराजुली को सुप्रीम कोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया। जो विधेयक सदन में प्रस्तुत किया गया था उसमें मधेशियों की मांगों को शामिल किया गया था।

सरकार अल्पमत में

इस घटनाक्रम के बाद सरकार अल्पमत में आ गई है। मिली जानकारी के अनुसार सत्ताधारी गठबंधन के एक तिहाई सांसदों की ओर से चीफ जस्टिस सुशीला कार्की पर महाभियोग प्रस्ताव दाखिल होने के बाद उपप्रधानमंत्री बिमलेंद्र निधि ने इस्तीफा दे दिया है। सरकार अब अल्पमत में है। दरअसल प्रजातंत्र पार्टी के पास 35 सांसदों की ताकत है। उसने चीफ जस्टिस पर महाअभियोग लगाए जाने के मामले में समर्थन वापस लिया है।

आपात बैठक

इस मामले के बाद सेना ने अपनी आपात बैठक बुलाई है और राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने प्रधानमंत्री प्रचंड के ही साथ सेना के प्रमुख जनरल राजेंद्र क्षेत्री से भेंट की है। नेपाल के राजनीतिक हालात बदलने के बीच देश के तीनों पूर्व पुलिस प्रमुखों को जेल भेज दिया गया है। दूसरी ओर नवराज सिलवाल जो कि पूर्व पुलिस प्रमुख हैं अपने उपर दस्तावेज लीक करने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के मामले में आरोप हैं। वे अपना उपचार एक चिकित्सालय में करवा रहे थे लेकिन वहां से वे फरार हो गए हैं। देश के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति आनन फानन में की गई है।

महाभियोग प्रस्ताव पेश

मिली जानकारी के अनुसार नेपाल की संसद में संविधान संशोधन विधेयक को लेकर मतदान होना था लेकिन इसे तीन दिन के लिए टाल दिया गया। प्रचंड सरकार के मंसूबों पर पानी फिर गया। दरअसल सरकार ने अन्य छोटे दलों की मदद से समर्थन का आंकड़ा जुटा लिया था। उसे इस विधेयक पर समर्थन के लिए 4 मत की और आवश्यकता थी। मगर ऐन मौके पर वोटिंग निस्त हो गई। इसके बाद नेपाली कांग्रेस के साथ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल यमाओवादी सेंटर के 249 सांसदों ने नेपाल की चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश कर दिया।

सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस हैं। पिछले दिनों नेपाल की सरकार ने जय बहादुर चंद को नेपाल की पुलिस का प्रमुख नियुक्त किया था लेकिन सीनियर अफसर नवराज सिलवाल ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। कार्की ने सरकार के फैसले को दरकिनार करते हुए सिलवाल को ही पुलिस विभाग का प्रमुख बनाने का निर्णय दिया। सरकार द्वारा विवाद को दरकिनार करते हुए प्रकाश अर्यल को पुलिस प्रमुख बना दिया। ऐसे में कार्की पर महाभियोग लगाने की मांग की गई और कहा गया कि उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्य किया है।

सेवानिवृत्त होने वाली हैं कार्की

गौरतलब है कि कार्की जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाली हैं। उन पर महाभियोग लगाने के बाद नेपाल के उपप्रधानमंत्री बिमलेंद्र निधि ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह के प्रस्ताव को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई। निलंबन से ठीक पहले सुशीला कार्की ने नेपाल के तीन पूर्व पुलिस प्रमुखों को भ्रष्टाचार के मामले में जेल की सजा सुनाई। इस घटनाक्रम के बाद लोग सूडान घोटाले की चर्चा करने लगे। जिसमें अधिकारियों को जेल भेजा गया था।

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