राजनेता तो बहिष्कार करते रहेंगे! उन मजदूरों की सुनिए, जिन्होंने नया संसद भवन बनाया, दिन-रात जुटे रहे 60 हज़ार श्रमिक

राजनेता तो बहिष्कार करते रहेंगे!  उन मजदूरों की सुनिए, जिन्होंने नया संसद भवन बनाया, दिन-रात जुटे रहे 60 हज़ार श्रमिक
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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज रविवार (28 मई) को देश के नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह की शुरुआत वैदिक रीति-रिवाज़ के अनुसार, मंत्रोच्चार और पूजा से हुई। पीएम मोदी के साथ पूजा में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी उपस्थित रहे। पीएम मोदी ने नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद भवन के निर्माण में योगदान देने वाले श्रमिकों को सम्मानित किया।

 

बता दें कि, मोदी सरकार की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक नए आधुनिक संसद भवन को साकार करने के लिए दो वर्षों से अधिक समय से हजारों मजदूर दिन-रात काम में लगे हुए थे। किसी भी राजनीतिक शत्रुता से अलग रहकर 60,000 श्रमिक और पर्यवेक्षक ऑन-साइट और ऑफ-साइट इमारत को खड़ा करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे थे। शनिवार (27 मई) को उद्घाटन से एक दिन पहले पूरे संसद भवन परिसर को बंद कर दिया गया था। सिर्फ विशेष रूप से जांच की गई कारों, VIP, सुरक्षा कर्मियों, पुलिस और अन्य कर्मचारियों को बूम बैरियर के जरिए भीतर जाने की अनुमति दी गई थी। आयरन गेट 8 पर बैरिकेड्स लगा दिए गए थे जिससे होकर श्रमिकों का भीतर आना-जाना लगा हुआ था।

 

क्या बोले नया संसद भवन बनाने वाले मजदूर:-

मध्य प्रदेश के ग्वालियर के एक राजमिस्त्री, अरुण (40) ने बताया कि बीते कुछ वर्षों से वह दिन में 12 घंटे काम कर रहे हैं और हर महीने तकरीबन 17,000 रुपये कमाते हैं। उन्होंने बताया कि, 'काम लगभग 99 फीसद पूरा हो चूका है। हमने दो शिफ्टों में 24×7 काम किया है। हम कोरोना महामारी के दौरान भी नहीं रुके।' वह बताते हैं कि इस पूरी यात्रा की शुरुआत फरवरी 2021 में उन्हें मिले एक फोन कॉल से हुई थी। अरुण ने बताया कि, 'उन्होंने मुझसे पूछा था कि क्या मैं दिल्ली में संसद भवन में कार्य कर सकता हूं। मैं और अधिक खुश नहीं हो सकता था। ऐसे अवसर को कौन चूकना चाहेगा?'

वहीं, बिहार के एक श्रमिक 24 वर्षीय इमरान बताते हैं कि 'इमारत के कुछ हिस्सों में मचान का कार्य अभी भी जारी है और इसे पूरा होने में कुछ और माह लगेंगे। मध्य प्रदेश के एक अन्य वर्कर रामदीन डागर ने बताया है कि कुछ कक्षों में आवश्यक साज-सज्जा को छोड़कर भवन के भीतर ज्यादातर काम किया जाता है। मध्य प्रदेश के एक राजमिस्त्री नरेश मुस्कुराते हुए नए संसद भवन को लेकर कहते हैं, 'एक दम जन्नत।'

अरुण, इमरान, नरेश जैसे हज़ारों लोगों के लिए उनकी कड़ी मेहनत, पसीने के साथ यह वह भूमिका थी, जो उन्होंने इतिहास के पन्नों में भी दर्ज रहेगी और जिस अनुभव को वे अपने साथ ले जाएंगे। मुरैना के रहने वाले राम मूर्ति बताते हैं कि, 'काम काफी कठिन था, किन्तु यदि लोग हमसे पूछें कि हमने क्या किया, तो हम कह सकते हैं कि हमने संसद भवन का निर्माण किया, वह भी दो साल में। हमने पूरी ईमारत को हमारी आंखों के सामने बनते देखा है।'

बिहार के 20 साल के श्रमिक आकाश कुमार, जिन्होंने डामर बिछाने का कार्य किया, बताते हैं कि, 'हम 15 घंटे से ज्यादा समय से 5-6 दिनों से कार्य कर रहे हैं। कुछ दिन हमसे इससे अधिक काम करने के लिए भी कहा गया। अब जबकि परिसर के भीतर की सड़कें पक्की बन चुकी हैं,  तो सांस लेने का समय है। आकाश के सहयोगी 27 वर्षीय सोहित कुमार शर्मा बताते हैं कि, 'कल हम केवल 2 घंटे सोए थे। देश के लिए इतना तो करना पड़ेगा। हम संसद भवन के भीतर बैठने तो नहीं जा रहे हैं, लेकिन देश के लिए देखकर अच्छा लगता है।'

21 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का किया बहिष्कार:-

एक तरफ 60 हज़ार श्रमिक और कर्मी देश को मिले इस अद्भुत उपहार को लेकर उत्साहित हैं और जश्न मना रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ 21 विपक्षी दलों ने नई संसद के उद्घाटन समारोह का बॉयकॉट कर दिया है। विपक्ष मांग कर रहा था कि संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए। इसके लिए उन्होंने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था, मगर वहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई।

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