नई दिल्ली: भारतीय मूल के ऋषि सुनक को ब्रिटेन की कमान मिलने के पश्चात् विश्वभर में उनकी ही बातें की जा रही है। ब्रिटेन में जारी आर्थिक संकट के के मध्य लिज ट्रस ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया है। इसके उपरांत ऋषि सुनक को पीएम पद तक पहुंचने का अवसर मिल गया है। सुनक के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने को लेकर इंडिया में भी जमकर चर्चा है, देश में लोग उन्हें लेकर तमाम तरह की बातें Google पर सर्च कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ऋषि सुनक पर भारत में राजनीति और भी ज्यादा गरमा चुकी है। तमाम विपक्षी नेताओं ने सुनक के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास भी किया है, वहीं सरकार की तरफ से भी उत्तर दिया गया।
ओवैसी ने छेड़ा हिजाब का जिक्र: एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी की तरफ से ऋषि सुनक के बहाने सरकार पर हमला कर दिया है। ओवैसी ने सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलते हुए बोला है कि सबका साथ, सबका विकास सिर्फ एक जुमला है। जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने पर ओवैसी ने बोला है कि "मैं चाहता हूं भविष्य में हिजाब पहनने वाली कोई लड़की भारत की प्रधानमंत्री बन गए।"
If this does happen, I think all of us will have to acknowledge that theBrits have done something very rare in the world,to place a member of a visible minority in the most powerful office. As we Indians celebrate the ascent of @RishiSunak, let's honestly ask: can it happen here? https://t.co/UrDg1Nngfv
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 24, 2022
कांग्रेस नेताओं ने किया बहुसंख्यकवाद का जिक्र: कांग्रेस नेताओं की तरफ से भी यही प्रश्न किया गया कि क्या इंडिया में भी यूके की तरह कोई अल्पसंख्यक इतने बड़े पद तक पहुंच सकता है? कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बोला है कि "अगर ये हुआ है तो हमें इस पर गौर करना चाहिए क्योंकि ब्रिटेन में हुआ ये बदलाव दुनिया में एक खास मामला है। एक अल्पसंख्यक को सर्वोच्च पद पर जगह दी गई है। जब हम भारतीय ऋषि सुनक के बोलने के अंदाज का जश्न मना रहे हैं, तब हमें ईमानदारी से पूछना चाहिए कि क्या भारत में ये मुमकिन है? थरूर की तरह कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी यही सवाल उठाया। उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि पहले कमला हैरिस और अब ऋषि सुनक... अमेरिका और यूके के लोगों ने अल्पसंख्यकों को देश के सबसे ऊंचे पदों तक पहुंचाने का काम किया। मुझे लगता है कि ये भारत और यहां की पार्टियों के लिए एक सबक है, जो बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देती हैं।
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