बहुत से लोग सालभर में आने वाली केवल दो नवरात्रों के बारे में जानते हैं जिसमे पहला चैत्र या वासंतिक नवरात्र और दूसरा आश्विन या शारदीय नवरात्र लेकिन इसके अलावा दो और नवरात्र भी आते हैं. जी हाँ, उन नवरात्रों में विशेष कामनाओं की सिद्धि हो जाती है. ऐसे में आप सभी को बता दें कि माघ मास की गुप्त नवरात्र का प्रारंभ माघ शुक्ल प्रतिपदा (5 फरवरी, मंगलवार ) से होने जा रहा है और यह 14 फरवरी, गुरुवार को समाप्त होगी. ऐसे में आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि.
गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि - आप सभी को बता दें कि चैत्र और शारदीय नवरात्र की तुलना में गुप्त नवरात्र में देवी की साधाना ज्यादा कठिन होती है और इस दौरान मां दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से की जाती है इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है. कहते हैं इन नवरात्र में मानसिक पूजा का महत्व माना जाता है और इसका वाचन गुप्त होता है, लेकिन सतर्कता भी आवश्यक मानी जाती है. इसमें ऐसा कोई नियम नहीं है कि गुप्त नवरात्र केवल तांत्रिक विद्या के लिए ही होते हैं क्योंकि यह सभी के लिए सामन्य माने जाते हैं. कहते हैं इनको कोई भी कर सकता है लेकिन इस दौरान कई बातों का ध्यान रखना आवश्यक माना जाता है.
देवी सती ने किया था 10 महाविद्याओं का प्रदर्शन - कहते हैं इस दौरान भगवान शंकर की पत्नी सती ने जिद थी कि वह अपने पिता दक्ष प्रजापति के यहां अवश्य जाएंगी. ऐसे में प्रजापति ने यज्ञ में न सती को ही बुलाया और न अपने दामाद भगवान शंकर को. उस दौरान शंकर जी ने कहा कि बिना बुलाए कहीं नहीं जाते हैं. लेकिन सती जिद पर अड़ गईं और सती ने उस समय अपनी दस महाविद्याओं का प्रदर्शन किया. उस दौरान उन्होंने सती से पूछा- 'कौन हैं ये?'
सती ने बताया,'ये मेरे दस रूप हैं. सामने काली हैं. नीले रंग की तारा हैं. पश्चिम में छिन्नमस्ता, बाएं भुवनेश्वरी, पीठ के पीछे बगलामुखी, पूर्व-दक्षिण में धूमावती, दक्षिण-पश्चिम में त्रिपुर सुंदरी, पश्चिम-उत्तर में मातंगी तथा उत्तर-पूर्व में षोड़शी हैं. मैं खुद भैरवी रूप में अभयदान देती हूं. इन्हीं दस महाविद्याओं ने चंड-मुंड और शुम्भ-निशुम्भ वध के समय देवी के साथ असुरों से युद्ध करती रहीं.
5 फरवरी से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, यह है सर्वार्थसिद्धि योग
रात में इस रंग के कपड़े में बांधकर सो जाए इलायची और सुबह करें यह काम, हो जाएंगे अमीर