ग़ाज़ियाबाद. ठण्ड ने अपने पैर पसार लिए हैं और पारा दिनों-दिन गिरता जा रहा है. कहने को शहर में नगर निगम की तरफ से कईं रैन बसेरे चल रहे हैं, लेकिन असलियत देखने जाओ तो उनकी हालत बेहद खस्ता है. दिसंबर सामने खड़ा है, तब भी यहाँ मूलभूत सुविधाएँ तक उपलब्ध नहीं है.
राजनगर के रैन बसेरे में रेनोवेशन का काम चल रहा है. रजाई, गद्दे तो क्या, यहां दरी तक उपलब्ध नहीं है. सब सामान पिछले साल का है और बेहद ख़राब हालत में हैं. यहां रात में 70 से 80 लोग रहते हैं, जिन्हें अपनी व्यवस्था खुद करनी पड़ रही है. वहीं पुराना बस अड्डा के पास मौजूद रैन बसेरे में 50 से 60 लोगों के रुकने की व्यवस्था है. लेकिन यहां भी कंबल और गद्दे नदारद हैं और पानी की भी व्यवस्था नहीं है. स्वच्छता अभियान का शोर देशभर में है, पर यहाँ का टॉयलेट पिछले कईं महीनों से जाम है और उपयोग करने योग्य नहीं है.
नासिरपुर में रेलवे फाटक के पास स्थित रैनबसेरे के हालत तो और भी बुरे हैं. इस रैन बसेरे में 60 से 70 लोगों के रुकने की व्यवस्था है, पर अन्य रैनबसेरों की तरह यहाँ भी कोई इंतजाम नहीं है. और तो और शेड इतनी बुरी हालत में है, कि कभी भी गिर सकता है.
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