नई दिल्ली: कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के काले कारनामे सामने आ रहे हैं। कई वर्षों से ये संगठन देशविरोधी साजिशें रच कर देश को अंदर से खोखला कर रहा था। पहले जब एजेंसियों ने इस संगठन पर एक्शन लिया, तो इसके सदस्यों ने जमकर बवाल मचाया। लेकिन, अब एक-एक कर इनके काले चिट्ठे खुल रहे हैं। PFI की खुद की एक मैगजीन भी है। इसको संगठन का मुखपत्र कहा जाता है। अमेरिका ने जब पाकिस्तान में घुसकर खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन को ढेर किया था, तब PFI के मुखपत्र तेजस में लादेन को श्रद्धांजलि दी गई थी। आतंकी लादेन को मसीहा और अल्लाह का बंदा बताने की कोशिश की गई थी। PFI को लेकर यूपी STF, ED और NIA ने जो जांच की थी, उसमे ये बड़ा खुलासा हुआ है।
तेजस मैगजीन PFI का मुखपत्र है। इसके कवर पेज पर ओसामा बिन लादेन की तस्वीर लगी हुई है। अमेरिकी फौज ने जब ओसामा बिन लादेन को मारा था, उसके बाद तेजस मैगजीन ने कवर पेज पर ओसामा बिन लादेन की तस्वीर छाप कर ओसामा को अल्लाह का बंदा कहा था और एक तरह से ओसामा को शहीद बताने का प्रयास किया गया था। इसमें लादेन की तस्वीर के नीचे कैप्शन दिया है। जिसमे लिखा है कि जो लोग अल्लाह के लिए मारे गए हैं, वे यह नहीं सोचते कि वे मर चुके हैं। वो अभी भी अल्लाह के पास जिन्दा हैं।
तेजस नाम की इस मैगजीन में हाथरस जाते समय मथुरा से अरेस्ट किए गए पत्रकार सिद्दीकी कप्पन भी काम करता था। वर्ष 2010 में सिद्दीकी कप्पन इस मैगजीन के लिए भड़काऊ लेख लिखता था। एजेंसियों ने बताया था की PFI तेजस के माध्यम से सरकार के खिलाफ नफरत पैदा करने की साजिश करता था। अखबार की आड़ में PFI साम्प्रदायिक एजेंडा चलाता था। तेजस मैगजीन के जरिए लोगों को भड़काया और आतंकी बनाया जाता था। हालांकि, इतने सबूत सामने आने के बाद भी लालू यादव, असदुद्दीन ओवैसी, सीताराम येचुरी जैसे कुछ नेता केवल अपना वोट बैंक खुश रखने के लिए PFI का समर्थन कर रहे हैं।
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