नई दिल्ली: पूरे देश में जिस तरह से मस्जिदों के भीतर से एक-एक कर के हिन्दू मंदिरों और भारतीय संस्कृति के प्रमाण मिल रहे हैं, उससे इस्लामिक कट्टरपंथियों में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि, ये पूरा विवाद कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए अदालत में चल रहा है और बाकायदा सबूतों और ऐतिहासिक तथ्यों पर इस मामले को हल करने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन, कुछ कट्टरपंथी लोग इन मुद्दों को भीड़तंत्र के जरिए ख़त्म करने की और समाज में दहशत फैलाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने पूरे देश के मुस्लिमों को भड़काते हुए उनसे विवादित मस्जिदों के ढाँचों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध करने के लिए कहा है।
कर्नाटक के पुत्थनथानी में 23 और 24 मई 2022 को PFI की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। इस दौरान PFI द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें पूरे देश के मुस्लिमों से मस्जिदों के खिलाफ हो रही कार्रवाईयों का विरोध करने के लिए उकसाया गया। बैठक के दौरान मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी परिसर को लेकर हिन्दुओं द्वारा दाखिल की गई याचिकाओं को वर्शिप एक्ट-1991 का उल्लंघन बताया गया। PFI के अध्यक्ष ओएमए सलाम ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा है कि जिस प्रकार मस्जिदों पर दावे किए जा रहे हैं, इससे कभी न खत्म होने वाली सांप्रदायिक दुश्मनी का आगाज़ होगा। PFI ने मुसलमानों को भड़काते हुए कहा कि जितने भी भाजपा शासित राज्य हैं, वहाँ मुस्लिमों पर जुल्म हो रहा है। इसमें मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम का उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही PFI ने ज्ञानवापी मामले में अदालत के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए वजूखाने पर लगाई गई रोक का विरोध किया। इसको लेकर कट्टरपंथी संगठन ने बकायदा एक पत्र भी जारी किया गया है।
बता दें कि हाल ही में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन PFI को प्रतिबंधित करने की माँग करते हुए सूफी इस्लामिक बोर्ड ने इस पर आतंकियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया था। सूफी बोर्ड ने दावा किया था कि PFI आतंकी संगठन अलकायदा से मिला हुआ है और उसी के द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर काम करता है। इसके अलावा कर्नाटक में हिजाब विवाद के पीछे भी PFI की साजिश उजागर हो चुकी है। केंद्र सरकार ने भी इसी साल 28 अप्रैल 2022 सर्वोच्च न्यायालय में बताया था कि PFI के तार प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन SIMI से जुड़े हुए हैं, इसलिए अब इस पर प्रतिबन्ध लगाने की तैयारी का जा रही है।
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