महिलाएं हमारे देश का गौरव है और उनकी अहमियत को कोई नहीं बता सकता। महिलाओं ने दुनियाभर में अपने काम से एक अलग ही जगह बनाई हुई है फिर वह माँ हो, बेटी हो या बहन हर महिला की इज्जत करना, हर महिला को सहूलियत देना, हर महिला की बातों का सम्मान करना, हर महिला की सुरक्षा का ध्यान रखना हम सभी का कर्तव्य है। आज अगर दुनिया में महिला नहीं होती तो यह दुनिया इतनी अधिक जनसंख्या वाली नहीं होती। एक महिला क्या कर सकती है और क्या नहीं इस पर हमे उन्हें जज नहीं करना चाहिए और ना ही हमे उनके पहनावे से लेकर उनके बोली तक को जज करना चाहिए। आज भी कई लोग महिलाओं को ऊँचा बोलने से लेकर तेज हंसने तक के लिए मना करते हैं जो काफी हद तक गलत है। ऐसे नहीं करना चाहिए क्योंकि एक महिला को हर वो आजादी है जो एक पुरुष को है। महिला जो चाहे वह खुलकर कर सकती है क्योंकि वह एक आजाद परिंदा है। वैसे आम लोगों की तो आप बात ही छोड़ दीजिये, यहाँ तो राजनेता भी महिलाओं को अपनी पैर की धुल समझते हैं और उनके बारे में बोलने से पहले एक बार भी नहीं सोचते हैं। ऐसे ही कई राजनेता है जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ ऐसे-ऐसे बयान दिए हैं जो चौकाने वाले रहे हैं और उन्हें सुनकर लोगों के तो होश ही उड़ गए। अभी बीते दिनों की ही बात कर लीजिये। जी दरअसल बीते दिनों ही उत्तराखंड के CM तीरथ सिंह रावत ने एक चौकाने वाला बयान दिया है और उनके बयान से सभी लोगों में आक्रोश का माहौल बना नजर आया है।
क्या कहा था CM तीरथ सिंह रावत ने- ''जब वह युवाओं को फटी जींस पहनकर घूमते देखते हैं तो उन्हें आश्चर्य होता है। उन्होंने एक संस्मरण का जिक्र करते हुए कहा कि वह जयपुर से दिल्ली की फ्लाइट पर बैठे हुए थे। उनके बगल में एक महिला बैठी हुई थी। महिला एक एनजीओ चलाती थीं, जबकि उसके पति एक कॉलेज में प्रोफेसर थे। उस महिला ने पांव में गमबूट और घुटनों में फटी जींस पहनी हुई थी। महिला के साथ उसके दो बच्चे भी थे। एनजीओ चलाती हैं, पति जेएनयू में प्रोफेसर हैं, घुटने फटे दिख रहे हैं, समाज के बीच में जाती हैं, बच्चे साथ में है। क्या संस्कार दे रही हैं।''
CM के इसी बयान पर बवाल मच चुका है और अब महिलाएं ट्विटर से लेकर अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स तक पर फटी जींस में फोटोज अपलोड कर रहीं हैं। वैसे अब हम आपको उन राजनेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो CM तीरथ सिंह रावत से पहले महिलाओं को लेकर कई तरह के बेहूदे और विवादित बयान दे चुके हैं। आइए मिलवाते हैं आपको उन राजनेताओं से।
नरेंद्र मोदी - हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई बयान ऐसे रहे हैं जो चर्चाओं में रहे हैं। अब आज हम आपको उनके उन बयानों के बारे में बताने जा रहे हैं जो उन्होंने महिलाओं को लेकर दिए। उनके इन बयानों को अमर्यादित टिप्पणी कहा जा सकता है। जी दरअसल हम बात कर रहे हैं साल 2012 के बारे में। उस दौरान नरेंद्र मोदी एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कुछ ऐसा बोल गए थे कि सभी हैरान रह गए थे। जी दरअसल उस दौरान उन्होंने कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा थरूर को लेकर कहा था कि, 'वाह क्या गर्लफ़्रेंड है, आपने कभी देखी है 50 करोड़ की गर्लफ़्रेंड?'। उनके इस बयान के बाद काफी बवाल हुआ था। कई लोगों ने यह कहा था, 'अगर आप विपक्ष पर भी निशाना साध रहे हों तो किसी महिला को लेकर कुछ न कहे, और अगर कुछ कहे तो सोच-समझकर कहे।' वैसे उस दौरान शशि थरूर ने भी PM मोदी को जवाब दिया था और कहा था, "मोदी जी मेरी पत्नी 50 करोड़ की नहीं बल्कि अनमोल है, लेकिन आप को यह समझ में नहीं आएगा क्योंकि आप किसी के प्यार के लायक नहीं हैं।'' नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद वह बहुत तेजी से चर्चाओं में आए थे और कई लोगों ने उन पर निशाने साधे थे।
स्वामी कृष्णस्वरूप - यह गुजरात के धार्मिक नेता कहे जाते हैं। एक बार स्वामी कृष्णस्वरूप ने कुछ ऐसा कहा था कि वह बहुत तेजी से और बहुत दिनों तक चर्चाओं में रहे थे। जी दरअसल यह मामला साल 2020 का है जब स्वामी कृष्णस्वरूप ने कुछ ऐसा कहा था कि वह हर तरफ से घिर गए थे। जी दरअसल उस दौरान एक मामला सामने आया था जिसमे कॉलेज में प्रधानाचार्य और अन्य महिला स्टाफ ने यह देखने के लिए 60 से अधिक लड़कियों को कथित तौर पर अंत:वस्त्र उतारने को कहा था कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं हो रही। यह सब केवल इसलिए किया गया था क्योंकि लड़कियों ने कथित तौर पर हॉस्टल का वह नियम तोड़ा था। जी दरअसल मासिक धर्म के दौरान लड़कियों को खाना बनाने से मना किया जाता है। वैसे इस मामले में प्रधानाचार्या, हॉस्टल रेक्टर और चपरासी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वैसे जिस कॉलेज के बारे में हम बात कर रहे हैं वह स्वामी कृष्णस्वरूप दासजी चलाते हैं और वह स्वामीनारायण मंदिर भुज स्थित श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट (एसएसजीआई) है। इस मामले के होने के बाद स्वामी कृष्णस्वरूप दस ने कहा था, "यह पक्का है कि यदि पुरुष मासिक धर्म के चक्र से गुजर रहीं महिलाओं के हाथ का बना खाना खाते हैं तो वे अगले जन्म में बैल बनेंगे। यदि आपको मेरे विचार पसंद नहीं आते तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन यह सब हमारे शास्त्रों में लिखा है। यदि मासिक धर्म के समय महिला अपने पति के लिए खाना बनाती है तो वह अगले जन्म में 'पशु' बनेगी। महिलाओं को पता नहीं होता कि मासिक धर्म का समय तपस्या करने जैसा होता है। हालांकि मैं आपको ये सब चीजें बताना नहीं चाहता, लेकिन मैं आपको आगाह करता हूं। पुरुषों को खाना बनाना सीखना चाहिए।।।इससे आपको मदद मिलेगी।" उनके इस बयान के बाद वह तेजी से चर्चाओं में आए थे और कई लोगों ने उन्हें गलत बताया था। कई लोगों ने उन्हें कहा था कि वह महिलाओं का अपमान कर रहे हैं।
आजम खान- इन्हे तो आप बहुत अच्छे से जानते होंगे। आजम खान समाजवादी पार्टी के नेता और सांसद हैं। इन्होने भी एक बार महिलाओं के खिलाफ कुछ ऐसा कहा था कि यह खूब चर्चाओं में रहे थे। इन्होने अपनी विपक्षी पार्टी की प्रतिनिधि के लिए कुछ ऐसा कहा था कि विवाद तेज हो गया था। जी दरअसल यह बात उस समय की है जब लोकसभा चुनाव होने वाले थे। उस दौरान आजम खान ने रामपुर में आयोजित एक चुनावी जनसभा को सम्बोधित किया था। अपने सम्बोधन के दौरान उन्होंने कहा था कि, 'जिसको हम ऊँगली पकड़कर रामपुर लाए, आपने 10 साल जिससे अपना प्रतिनिधित्व कराया उसने हमारे ऊपर क्या-क्या इल्जाम नहीं लगाए। क्या आप उसे वोट देंगे, उनकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लगे, मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनके नीचे का अंडरवियर खाकी रंग का है।' आजम खान का यह बयान जया प्रदा के लिए रहा था, हालाँकि उन्होंने उनका नाम नहीं लिया था लेकिन यह बात सामने आई थी कि उनका यह बयान जया प्रदा के लिए ही था।
मुलायम सिंह यादव - समाजवादी पार्टी के संरक्षक, संस्थापक मुलायम सिंह यादव को तो आप बहुत अच्छे से जानते होंगे। मुलायम सिंह यादव भी अपने बयान के चलते कई बार चर्चाओं में रह चुके हैं। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ एक बार एक ऐसा बयान दिया था जिससे वह काफी समय तक चर्चाओं में रहे थे। जी दरअसल मुलायम सिंह यादव ने एक बार उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक रैली को संबोधित किया था। उस दौरान उन्होंने बलात्कार विरोधी क़ानून को गलत बताया था। उन्होंने कहा था- ''जब लड़के और लड़कियों में कोई विवाद होता है तो लड़की बयान देती है कि लड़के ने मेरा बलात्कार किया। इसके बाद बेचारे लड़के को फांसी की सज़ा सुना दी जाती है। बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा अनुचित है। लड़कों से ग़लती हो जाती है और इसके लिए उन्हें मौत की सज़ा नहीं देना चाहिए।'' उनके इस बयान को जिसने सुना उनके होश उड़ गए। उनके इस बयान ने काफी समय तक लोगों के बीच चर्चाएं प्राप्त की थी। यह बयान बहस का मुद्दा बना था और काफी समय तक लोगों ने मुलायम सिंह यादव को बुरा-भला कहा था।
अनिसुर रहमान- यह सीपीआईएम नेता है और इन्होने भी एक बार महिलाओं के खिलाफ ऐसा बयान दिया था कि वह काफी समय तक चर्चाओं में बने रहे थे। जी दरअसल साल 2012 में एक चुनावी रैली चल रही थी। उस दौरान सीपीआईएम नेता अनिसुर रहमान महिलाओं के ख़िलाफ़ अत्याचार पर बात कर रहे थे। इसी बातचीत में उन्होंने एक बयान दिया था और कहा था कि, 'प्रताड़ित महिलाओं को शायद न्याय नहीं मिलेगा क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बलात्कार की कीमत तय की हुई है। हम ममता दीदी से पूछना चाहते हैं उन्हें कितना मुआवजा चाहिए। बलात्कार के लिए कितना पैसा लेंगी?' अनिसुर रहमान अपने इस बयान के चलते काफी समय तक चर्चाओं में रहे थे। कई लोगों ने उन्हें भला-बुरा कहा था और उनके खिलाफ कई महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी थी। उस दौरान महिलाओं का कहना था कि अनिसुर रहमान महिलाओं के बलात्कार की कीमत के बारे में कैसे बात कर सकते हैं?
कोडेला शिव प्रसाद राव- महिलाओं के खिलाफ विवादित बयान देकर कोडेला शिव प्रसाद राव भी काफी समय तक चर्चाओं में रहे थे। जी दरअसल कोडेला शिव प्रसाद राव भी उस लिस्ट में शामिल है जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ बेहूदे बयान दिए हैं। कोडेला शिव प्रसाद राव आंध्र प्रदेश विधानसभा के पूर्व स्पीकर और टीडीपी के वरिष्ठ नेता थे। उन्होंने 16 सितम्बर 2019 में आत्महत्या कर ली थी। वैसे आज हम बात कर रहे उनके विवादित बयान की। जी दरअसल उन्होंने साल 2017 में एक विवादित बयान देते हुए कहा- 'अगर कार को खरीदकर गैराज में रख दिया जाए तो एक्सीडेंट का डर नहीं रहता। ऐसा पहले समय में होता था जब महिलाएं घर में रहती थीं और कई तरह के जुल्मों से भी महफूज रहती थीं। लेकिन आज वह पढ़ लिखकर बाहर जाती हैं तो छेड़छाड़ और रेप आदि घटनाओं का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। अगर वह घर से न निकलतीं तो ऐसा खतरा नहीं रहता।' उनके इस बयान के बाद वह काफी समय तक चर्चाओं में रहे थे और उन्हें काफी भला-बुरा सुनने को मिला था। वहीं उसके बाद उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा था कि, 'मेरा मतलब महिलाओं को घर में रखने से नहीं था। उन्हें पढ़ना-लिखना और नौकरी करनी चाहिए लेकिन अपनी हिफाजत के लिए खुद भी कदम उठाने चाहिए। सिर्फ कानून बनाने से कुछ नहीं होगा।'
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