देशभर में जनसंख्या में आ सकती है गिरावट लेकिन अब भी भारत नंबर एक पर

देशभर में जनसंख्या में आ सकती है गिरावट लेकिन अब भी भारत नंबर एक पर
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नई दिल्ली: भारत की जनसंख्या वृद्धि में 2024 में पहली बार रिकॉर्ड गिरावट दर्ज हो सकती है। हालांकि, इसके बावजूद भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में बना रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में जनगणना की शुरुआत हो सकती है, जो 2025 तक पूरी होगी। यह पहली बार है कि 2021 में तय जनगणना को स्थगित किया गया था, जबकि 1872 से नियमित रूप से जनगणना होती आ रही है।

जनसंख्या वृद्धि की स्थिति: एसबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि 1951 में भारत की जनसंख्या 36.1 करोड़ थी, जो 1.25% की दर से बढ़ रही थी। 1971 में यह दर 2.22% थी, जिससे जनसंख्या 54.8 करोड़ हो गई। 2021 में जनसंख्या 1% से 1.20% की दर से बढ़कर 138 से 142 करोड़ के बीच मानी जा रही है। क्षेत्रीय आधार पर, उत्तर भारत में जनसंख्या वृद्धि सबसे अधिक रही है, जिसमें 29% की वृद्धि देखी गई है। इसके विपरीत, दक्षिण भारत में यह वृद्धि मात्र 12% रही।

बच्चों की घटती संख्या: शून्य से 14 साल की उम्र के बच्चों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गई है। 1991 में इनकी संख्या 31.2 करोड़ थी, जो 2024 तक घटकर 34 करोड़ रह सकती है। 1991 में इनका कुल आबादी में हिस्सा 37% था, जो 2024 तक 24.3% तक आ सकता है। वहीं, 60 वर्ष से अधिक उम्र की आबादी लगातार बढ़ रही है और 2024 तक यह 15 करोड़ तक पहुंच सकती है।

कामकाजी जनसंख्या में इजाफा: रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 59 वर्ष की कामकाजी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। 1991 में यह संख्या 46.5 करोड़ थी, जो 2024 तक 91 करोड़ तक पहुंच सकती है। इसका कुल आबादी में हिस्सा 67% रहने का अनुमान है, और 2030 तक यह आंकड़ा 100 करोड़ हो सकता है।

शहरी आबादी का विस्तार: 2011 की जनगणना के अनुसार, शहरी आबादी में चार गुना वृद्धि हुई है। 2011 में 31% लोग शहरों में रहते थे, जो 2024 तक बढ़कर 35.37% हो सकता है। तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 54% लोग शहरों में रहते हैं, जबकि महाराष्ट्र में 48.8% लोग शहरी क्षेत्र में बसे हुए हैं। वहीं, हिमाचल प्रदेश और बिहार में शहरी आबादी सबसे कम है, जहां केवल 10.3% और 12.4% लोग शहरों में रहते हैं।

बुजुर्गों की बढ़ती संख्या: रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बुजुर्ग जनसंख्या है, जो 1.9 करोड़ है। महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 1.5 करोड़ और पश्चिम बंगाल में 1.1 करोड़ तक है। दिल्ली में 20 लाख बुजुर्ग रहते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के 24% लोग शहरी क्षेत्र में रहते हैं।

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