सामान्य ज्ञान की जानकारी के लिए आपको ये जानना आवश्यक है की वर्ल्ड पोस्ट डे (डाक दिवस) 9 अक्टूबर को दुनियाभर में सेलिब्रेट किया जा रहा है। डाक दिवस को मनाने का मकसद लोगों को डाक सेवाओं और डाक विभाग के बारे में जागरूक करना है। साल 1874 में आज ही के दिन यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) का गठन करने के लिए स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद वर्ष 1969 में जापान के टोक्यो में हुए सम्मेलन में विश्व डाक दिवस के रूप में 9 अक्टूबर को चयन किए जाने की घोषणा हुई।
पोस्टल नेटवर्क के विस्तार में खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में डाक घरों को शुरू करने का योगदान रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक, देश में एक डाक घर 21.20 वर्ग किमी क्षेत्र और 7174 लोगों की जनसंख्या को अपनी सेवा प्रदान करता है। पोस्टल नेटवर्क में चार कैटिगरी के डाक घर हैं- प्रधान डाक घर, उप डाक घर, अतिरिक्त विभागीय उप डाक घर और अतिरिक्त विभागीय शाखा डाक घर। सभी डाक घर एक जैसी पोस्टल सेवाएं प्रदान करते हैं, बस डिलिवरी का काम विशिष्ट डाक घरों के जिम्मे रहता है।भारत में पहला पोस्ट ऑफिस 1774 में कोलकाता में खुला। स्पीड पोस्ट भारत में 1986 में शुरू हुआ। मनी ऑर्डर सिस्टम 1880 में शुरू हुआ।
इसके शुरुवात की बात करे तो अपने देश में आधुनिक डाक व्यवस्था की शुरुआत 18वीं सदी से पहले हुई। वर्ष 1766 में लॉर्ड क्लाइव द्वारा स्थापित डाक व्यवस्था का विकास वारेन हेस्टिंग्स ने 1774 में कोलकाता जीपीओ की स्थापना करके किया। चेन्नै और मुंबई के जनरल पोस्ट ऑफिस क्रमश: वर्ष 1786 और 1793 में अस्तित्व में आए।रिपोर्ट्स के मुताबिक, आजादी के समय देशभर में 23,344 डाक घर थे। इनमें से 19,184 ग्रामीण क्षेत्रों में तो 4,160 शहरी क्षेत्रों में थे। 31 मार्च, 2008 तक भारत में 1,55,035 डाक घर थे। इनमें से 1,39,173 डाक घर ग्रामीण क्षेत्रों और 15,862 शहरी क्षेत्रों में थे। इस तरह भारत आज विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क बन गया है।
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