नई दिल्ली: डाकिये और ग्रामीण डाक सेवक जल्दी ही बीमा पॉलिसी बेचते हुए दिखाई दे सकते हैं। भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण (इरडा) द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार ऐसे कर्मचारियों की जिम्मेदारी डाक भुगतान बैंक को लेनी होगी। इरडा ने कहा कि बीमा पॉलिसी बेचने के लिए डाकिये और ग्रामीण डाक सेवकों को भारतीय डाक भुगतान बैंक द्वारा इस कार्य के लिए प्रायोजित किया जाना आवश्यक होगा।
डाक भुगतान बैंक एक कॉरपोरेट एजेंट है और वह प्वायंट ऑफ सेल्सपर्सन के जैसे काम करने के लिए डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों को प्रायोजित करने के संबंध में इरडा से इजाजत मांग सकता है। इरडा ने कहा है कि अगर डाक भुगतान बैंक को इजाजत मिल जाती है तो वह प्वायंट ऑफ सेल्सपर्सन बनाये गए अपने व्यक्ति की त्रुटि के लिए जिम्मेदार होगा।
नियामक ने आगे कहा है कि डाक विभाग को डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों की पहचान करनी होगी और समय-समय पर इनकी फेहरिस्त जारी करनी होगी। डाक भुगतान बैंक नियमन के तहत स्वीकृत कितनी भी बीमा कंपनियों से अनुबंध कर सकता है। नियामक ने कहा कि, ''ये डाकिये और ग्रामीण डाक सेवक मुख्यत: ऐसे क्षेत्रों में कार्य करेंगे जहां बैंकिंग सेवाएं नहीं हैं या पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। वे दूरस्थ तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा उत्पाद बेचने की सुविधा उपलब्ध करा सकते हैं।''
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