आलू फ्राई, फ्रेंच फ्राइज, या बस फ्राइज, यह नाम सुनते ही हमारे मन में एक कुरकुरे, स्वादिष्ट स्नैक की तस्वीर उभर आती है। यह लोकप्रिय व्यंजन दुनिया भर में पसंद किया जाता है, लेकिन इसका नाम 'फ्रेंच' क्यों है? क्या इसका फ्रांस से कोई संबंध है?
वास्तव में, आलू फ्राई का इतिहास थोड़ा जटिल है। इस व्यंजन के मूल के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं, जिनमें से कोई भी निश्चित रूप से सच नहीं है।
1. बेल्जियम का दावा:
सबसे प्रचलित कहानी के अनुसार, आलू फ्राई का जन्म 17वीं शताब्दी में बेल्जियम में हुआ था। उस समय, मछली पकड़ने वाले लोग सर्दियों में जमी हुई नदियों में मछली पकड़ने के लिए छोटे-छोटे टुकड़ों में काटी हुई मछली को तलते थे। जब नदियां जमीं, तो उन्होंने मछली के बदले आलू का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। यह व्यंजन जल्द ही लोकप्रिय हो गया और इसे "फ्रेंच फ्राइज" कहा जाने लगा क्योंकि उस समय बेल्जियम के दक्षिणी भाग में फ्रांसीसी भाषा बोली जाती थी।
2. अमेरिकी कनेक्शन:
एक अन्य कहानी के अनुसार, आलू फ्राई का आविष्कार 18वीं शताब्दी में अमेरिका में हुआ था। थॉमस जेफरसन, जो बाद में अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति बने, 1784 में फ्रांस में रहते थे। वहां उन्होंने "पोम्स डी टेरे फ्रिट्स" नामक एक व्यंजन का स्वाद लिया, जो पतले कटे हुए आलू के तले हुए टुकड़े थे। जेफरसन इस व्यंजन से इतने प्रभावित हुए कि वे इसे अपने साथ अमेरिका ले आए।
3. फ्रांसीसी विवाद:
हालांकि, फ्रांसीसी लोग इस बात से इनकार करते हैं कि आलू फ्राई का उनसे कोई संबंध है। उनका तर्क है कि "पोम्स डी टेरे फ्रिट्स" नाम का इस्तेमाल 18वीं शताब्दी से पहले फ्रांस में पतले कटे हुए आलू के किसी भी व्यंजन के लिए किया जाता था, चाहे वह तला हुआ हो या न हो।
भारत में लोकप्रियता:
आलू फ्राई भारत में भी बहुत लोकप्रिय हैं। यहां इसे विभिन्न प्रकार के मसालों और चटनी के साथ परोसा जाता है। यह बच्चों और बड़ों, दोनों के बीच पसंदीदा है। आलू फ्राई का इतिहास थोड़ा अस्पष्ट है, लेकिन यह निश्चित रूप से एक स्वादिष्ट व्यंजन है जो दुनिया भर में पसंद किया जाता है। भारत में भी यह बहुत लोकप्रिय है और इसे विभिन्न प्रकार के मसालों और चटनी के साथ परोसा जाता है।
अतिरिक्त जानकारी: