नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक अध्ययन में बताया गया है कि भारत में अत्यधिक गरीबी अब न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। 2024 में गरीबी दर 5 प्रतिशत से नीचे आने का अनुमान है। इस रिपोर्ट में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गरीबी दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी दर वित्त वर्ष 2012 में 25.7% थी, जो वित्त वर्ष 2023 में घटकर 7.2% और वित्त वर्ष 2024 में 4.86% तक आने का अनुमान है। शहरी क्षेत्रों में यह दर 2011-12 में 13.7% थी, जो वित्त वर्ष 2023 में घटकर 4.6% और वित्त वर्ष 2024 में 4.09% तक पहुंच गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या के निचले 5% वर्ग की उपभोग क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह बदलाव प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT), ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण, किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण आजीविका में सुधार जैसी सरकारी पहलों का परिणाम है। बिहार और राजस्थान जैसे राज्य, जो कभी पिछड़े माने जाते थे, अब ग्रामीण और शहरी गरीबी के अंतर को पाटने में सबसे आगे हैं।
2023-24 के लिए नई गरीबी रेखा ग्रामीण क्षेत्रों में ₹1,632 और शहरी क्षेत्रों में ₹1,944 मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) पर आधारित है।
कांग्रेस सरकार (2004-2014) और मोदी सरकार (2014-वर्तमान) की तुलना:
कांग्रेस सरकार (2004-2014): इस दशक में गरीबी दर में गिरावट आई जरूर थी, लेकिन इसके बावजूद, 2011-12 तक 29.8% भारतीय गरीबी रेखा के नीचे थे।
मोदी सरकार (2014-वर्तमान): नीति आयोग के मुताबिक, पिछले नौ वर्षों में 24.82 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले। 2022-23 तक गरीबी दर घटकर 11.28% रह गई और अभी इसमें और गिरावट आने का अनुमान SBI की रिसर्च रिपोर्ट में जताया गया है।
उल्लेखनीय है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में कहा था कि पिछले दस वर्षों में 23 करोड़ से अधिक लोग गरीबी से बाहर आए हैं। यह उपलब्धि दिखाती है कि भारत ने आर्थिक विकास और लक्षित नीतियों के जरिए गरीबों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में सफलता हासिल की है। SBI रिपोर्ट का मानना है कि शहरी गरीबी का स्तर आने वाले वर्षों में और भी कम हो सकता है। जनगणना 2021 के डेटा से स्थिति और स्पष्ट हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, जीवन स्तर में सुधार और असमानता को दूर करने की दिशा में यह प्रगति देश के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
भारत में गरीबी दर में यह गिरावट एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। हालांकि, देश को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना है। सतत आर्थिक विकास और सामाजिक नीतियों के माध्यम से भारत गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के करीब है।