नई अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाने वाले बजट में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल का बेहद अहम रोल होगा। कृषि क्षेत्र में बुनियादी विकास की बात हो या फिर स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सरोकार के मुद्दे, पीपीपी मॉडल की भागीदारी से सरकार ने जनता तक बेहतर सेवा और सुविधाएं पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। एक फरवरी को पेश बजट में मौजूद विभिन्न योजनाओं में निजी क्षेत्रों की भागीदारी रखी गई और उनके लिए अवसर निकाले गए हैं, वह चाहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पाइपलाइन हो या फिर कृषि विकास।वही लंबी अवधि में निर्माण और हजारों करोड़ रुपये की लागत के कारण बड़ी परियोजनाएं व्यावसायिक तौर पर व्यवहारिक नहीं हो पाती थीं।वही इसके साथ ही कई बार पैसे की कमी के कारण योजनाएं लंबी खिंच जाती थीं। जनता को वह लाभ नहीं मिल पाता था, जिसकी उन्हें तुरंत दरकार होती थी। इसके अलावा रखरखाव में भी कठिनाई होती है। ये दुश्वारियां पीपीपी मॉडल में दूर होने लगीं हैं। विकास में पीपीपी मॉडल की इस भूमिका को देखते हुए मोदी सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रेजल कमेटी गठित की थी।
आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव की अध्यक्षता में बनी पांच सदस्यीय कमेटी का काम यह देखना है कि लंबी अवधि में खत्म होने वाली महंगी परियोजनाएं बेवजह न अटकें। मानक पूरे होने पर उन्हें जल्द अनुमति मिल सकता है । परियोजना की प्लानिंग और निर्माण में अंतरराष्ट्रीय मानक का पालन किया जाए और एक जैसी परियोजनाओं के लिए एक समान नीति हो। वही इसके अलावा परियोजना में फंड की कमी न हो, कमेटी इसका भी ध्यान रखती है। अगर फंड की कमी पड़ रही है तो उसकी व्यवस्था भी कराती है। वही अप्रेजल कमेटी बनाने का असर दिखा भी। वर्ष 2014-15 से 2018-19 के वित्त वर्ष तक कमेटी ने 87,278 करोड़ रुपये की 56 परियोजनाओं को संस्तुति दी। इसमें 43 सड़क, तीन बंदरगाह व पत्तन और एक-एक आवासीय व पर्यटन क्षेत्र की परियोजना थी। वर्ष 2019-20 के दौरान भी कमेटी ने 27514 करोड़ की आठ (चार रेलवे स्टेशन का विकास, दो ईको टूरिज्म, एक-एक बंदरगाह और पैसेंजर ट्रेन) परियोजनाओं की संस्तुति की।
इसके अलावा पीपीपी मॉडल की इन परियोजनाओं से जहां आर्थिक वृद्धि और विकास को गति मिली, वहीं निजी क्षेत्रों को अवसर मिलने से रोजगार की संभावनाएं बढ़ीं। इसके अलावा इस लाभ का दायरा और बढ़ाने के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में निजी क्षेत्रों के लिए तमाम अवसर बढ़ाए गए हैं। ऐसी कई योजनाएं हैं, जिनमें पीपीपी मॉडल का प्रमुख रोल रखा गया है। वही इन क्षेत्रों में पीपीपी मॉडल से होगा काम-विकास खंड/तालुका स्तर पर राज्य सरकार की मदद से भंडारण गृह का निर्माण जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पाद, मसलन दूध, मछली, मांस के परिवहन के लिए किसान रेल हर जिले में अस्पताल का निर्माण, मेडिकल कॉलेज से अटैच हो सकता है हर सरकारी जिला अस्पतालकेंद्र-राज्यांश के साथ इकोनॉमिक कॉरिडोर, विनिर्माण गतिविधियों और मांग के अनुरूप तकनीक देने वाले पांच स्मार्ट शहरों का विकास रेलवे लाइन के किनारे खाली पड़ी रेल भूमि पर सोलर पार्क बनाना चार स्टेशनों का री-डेवलपमेंट, 150 पैसेंजर ट्रेनों का संचालन गंगा वाले राज्यों में नदी किनारे रिवर फ्रंट बेसिन बनाकर पर्यटन, ईको-टूरिज्म समेत आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा पूरे देश में डेटा सेंट्रल पार्क का निर्माण
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