इस बार प्रदोष व्रत 17 फरवरी को रखा जाना है. जी हाँ, शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को इस बार प्रदोष व्रत है. ऐसे में इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लाखो जतन किए जाते हैं. आइए आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस प्रदोष व्रत की कथा.
प्रदोष व्रत कथा - कथानुसार चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्टों हो रहा था. भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा। प्रत्येक माह में जिस तरह दो एकदशी होती है उसी तरह दो प्रदोष भी होते हैं। त्रयोदशी (तेरस) को प्रदोष कहते हैं। प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है।
वार अनुसार लाभ - # कहते हैं रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत से आयु वृद्धि तथा अच्छा स्वास्थ्य लाभ मिलता है.
# वहीं सोमवार के दिन त्रयोदशी पड़ने पर किया जाने वाला व्रत आरोग्य प्रदान करता है और इंसान की सभी इच्छा पूरी हो जाती है.
# कहते है मंगलवार के दिन त्रयोदशी का प्रदोष व्रत हो तो उस दिन के व्रत को करने से रोगों से मुक्ति व स्वास्थ्य को लाभ होता है.
# ज्योतिषों के अनुसार बुधवार के दिन प्रदोष व्रत हो तो, उपासक की सभी कामनाओं की पूर्ति होने लगती है.
# मान्यता है कि गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत पड़े तो इस दिन के व्रत के फल से शत्रुओं का विनाश होना तय माना जाता है.
# वहीं शुक्रवार के दिन होने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति होती है.
# कहते हैं संतान प्राप्ति की कामना हो तो शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत करने से लाभ होता है.
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