नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को जलवायु परिवर्तन पर बहस के दौरान पहली दफा संस्कृत में संबोधित किया। जावड़ेकर ने अन्य वक्ताओं के साथ अपनी चर्चा की शुरुआत शुक्ल यजुर्वेद के हिम से की। जावड़ेकर ने अपने वक्तव्य के दौरान यजुर्वेद के मन्त्र का उच्चारण करते हुए कहा कि, 'ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥''
बता दें कि यजुर्वेद के इस शांति पाठ मंत्र में सृष्टि के सभी तत्वों व कारकों से शांति बनाये रखने की प्रार्थना की जाती है। इसका अर्थ होता है कि 'द्युलोक में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हों, जल में शांति हो, औषध में शांति हो, वनस्पतियों में शांति हो, विश्व में शांति हो, सभी देवतागणों में शांति हो, ब्रह्म में शांति हो, सब में शांति हो, चारों और शांति हो, शांति हो, शांति हो, शांति हो।'
UNSC में प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, सघर्ष और कमजोरी के बीच संबंध के बारे में पता लगाने के लिए व्यापक रूप से स्वीकार किए जाना वाली कोइ पद्धति नहीं है। उन्होंने कहा कि, "जब यह डेटा उपलब्धता और प्रभाव माप की बात आती है कमजोरी और जलवायु प्रभाव बहुत अधिक संदर्भ विशिष्ट हैं।" उन्होंने कहा कि, "जलवायु एक्शन के विचार से जलवायु महत्वाकांक्षा के टारगेट को 2050 के बाद भी नहीं हटाना चाहिए। सभी देशों को 2020 से पहले के अपने वादों को पूरा कर लेना चाहिए।
प्रमुख जीवन शैली प्रकाशक Ounousa के साथ दूरसंचार स्याही ने किया समझौता ज्ञापन
''लाल टोपी देखकर एक बच्चे ने कहा था- 'मम्मी देखो गुंडा'...'', सपा पर सीएम योगी ने कसा तंज
तांडव विवाद में कूदे अखिलेश, बोले- महिलाओं को डराकर उनपर मुक़दमे ठोंक रही भाजपा