पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आरएसएस मुख्यालय पहुंचे, समारोह में शिरकत की, संतुलित भाषण भी दिया और मोहन भगवत के साथ भोजन भी किया. मगर अब इस पर प्रतिक्रियाएं जारी है. कांग्रेस ने आरएसएस पर ऊँगली उठाते हुए खामियों पर चर्चा करते हुए कई कमियां गिनवाई है जैसे -
कांग्रेस के अनुसार आरएसएस कभी अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा नहीं रहा. साथ ही आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार को खिलाफत आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था और यह स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अंतिम भागीदारी थी. कांग्रेस के अनुसार आरएसएस ने गांधी जी के नमक आंदोलन से भी किनारा किया था और आरएसएस हमेशा अंग्रेजों के अधीन रहा. RSS ने कभी भी तिरंगे का सम्मान नहीं किया. भारतीय संविधान के लिए भी आरएसएस ने कभी भी ज्यादा सम्मान नहीं दिखाया. आरएसएस और नाथुरम गोडसे (महात्मा गांधी के हत्यारे) के बीच घनिष्ठ संबंध थे जिनके चलते गांधी जी की हत्या के बाद, आरएसएस के सदस्यों ने मिठाई बांटी थी.
मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "मुखर्जी का संघ मुख्यालय जाने का फैसला विमर्श की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है. पूर्व राष्ट्रपति ने संघ को उनके मुख्यालय में आईना दिखाया है." सुरजेवाला ने कहा, "प्रणब मुखर्जी के आरएसएस मुख्यालय जाने पर कई लोगों ने चिंता जताई थी, जो भारत की अनेकता में भरोसा रखते हैं."
लगता है RSS में फोटोशॉप की ट्रेनिंग भी दी जाती है...
आरएसएस और बीजेपी को राजधर्म की याद
Editor Desk: अब राजधर्म का पालन करेगा संघ?