नई दिल्ली: देश की सुप्रीम कोर्ट में अदालत की अवमानना के प्रावधान को चुनौती दी गई है. इस प्रावधान को चुनौती देते हुए अदालत में कहा गया है कि ये व्यवस्था संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है. कोर्ट की अवमानना को चुनौती देने वालों में शीर्ष अदालत के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, पूर्व पत्रकार एन राम तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी का नाम शामिल हैं. याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दे.
उल्लेखनीय है कि प्रशांत भूषण के एक ट्वीट पर उनके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अदालत की अवमानना की कार्रवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भूषण के कुछ ट्वीट्स का स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्यवाही आरंभ की है. अब प्रशांत भूषण, एन राम और अरुण शौरी ने कोर्ट की अवमानाना के प्रावधान को ही शीर्ष अदालत में चुनौती दे दी है. ये याचिका संविधान की धारा 32 के तहत दाखिल की गई है. बता दें कि इस याचिका को संविधान की आत्मा भी कहा जाता है. धारा 32 के तहत संविधान में मिले मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए समुचित कार्यवाहियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में आवेदन करने का अधिकार दिया गया है.
इस याचिका में कोर्ट की अवमानना कानून 1971 के सेक्शन 2(c)(i) की संवैधानिक वैधता को चैलेंज किया गया है और इसे देश के संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन कहा गया है.
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