हिन्दू धर्म परंपराओं में दण्डाधिकारी माने गए शनिदेव का चरित्र भी असल में, कर्म और सत्य को जीवन में अपनाने की ही प्रेरणा देता है. शुभ संकल्पों को अपनाने के लिए ही शनिवार को शनि पूजा व उपासना बहुत ही शुभ मानी गई है. यह दु:ख, कलह, असफलता से दूर रख सौभाग्य, सफलता व सुख लाती है.
शनि पूजा उपाय व मंत्र- तिल के तेल से भरे लोहे के बर्तन में शनिदेव की लोहे से बनी मूर्ति की पूजा करने का महत्व है. भगवान की पूजा यथा विधि स्वयं या ब्राह्मण से करावें. शनिदेव को गंगाजल से स्नान कराएं. तिल या सरसों का तेल, काले तिल, काली उड़द, काला वस्त्र, काले या नीले फूल के साथ तेल से बने व्यंजन का नैवेद्य चढ़ाएं.
शनि की अनुकूलता के लिए रखे गए व्रत में यथासंभव उपवास रखें या एक समय भोजन का संकल्प लें. इस दिन शुद्ध और पवित्र विचार और व्यवहार बहुत जरूरी है. आहार में दूध, लस्सी और फलों का रस लेवें. यदि व्रत न रख सकें तो काले उड़द की खिचड़ी में काला नमक मिलाकर या काले उड़द का हलवा खा सकते हैं.