इंदौर : शहर का रंगमंच कितने सक्षम युवा हाथो में है इसकी बानगी है ''प्रयास 3D'' (डांस ड्राइंग ड्रामा) प्रशिक्षण समिति इंदौर द्वारा स्वर्गीय पंडित बाबूराव अग्निहोत्री की पावन स्मृति में प्रस्तुत किया गया नाटक जिसका शीर्षक है ' वे लोग '. कार्यक्रम के शुभांरभ में स्वर्गीय पंडित जी की तस्वीर पर माल्यार्पण अभिनव कला समाज के प्रधानमंत्री श्री अरविन्द अग्निहोत्री, इंदौर थियेटर ग्रुप के अध्यक्ष श्री सुशील गोयल ने किया और दीप प्रज्जवलन के साथ महान हारमोनियम वादक स्वर्गीय पंडित बाबूराव अग्निहोत्री को याद किया गया . 'वे लोग ' के जरिये आधुनिक भारत में आधुनिक के मायने को समझाते हुए, कौमी एकता के सन्देश के साथ शहीदों को नमन किया गया. साथ ही दशकों से बदस्तूर जारी सियासी हालात पर चिंतन को बेहद शानदार तरीके से रंगमंच पर उकेरा गया. 'वे लोग' का लेखन पीयूष भालसे ने किया, निर्देशन और गीत लेखन राघव फकीरा का था. कोरियोग्राफी ज्योति राघव ने की. कलाकारों ने पंडित रामप्रसाद बिस्मिल (राघव फकीरा ), अशफाकउल्ला ( पीयूष भालसे), सूत्रधार ( पद्मेश शहरी ),चंद्रशेखर आज़ाद (अश्विन वर्मा ), यात्री (शिवम् जायसवाल, पावन कुमार, सुमित सिरसिया, ज्योति राघव, ठाकुर रोशन सिंह, शैल शर्मा), का किरदार निभाया . संगीत हेमंत पांडे और संदीप राठौर के साथ ढोलक पर अयन खां ने संगत की.
''प्रयास 3D'' की युवा टीम के द्वारा मंचित इस प्ले में बेहतरीन लेखन को दमदार संवाद अदायगी, बेमिसाल अदाकारी और कर्णप्रिय संगीत के साथ-साथ समयबद्ध विद्युत सज्जा ने जीवंत कर दिया. दर्शकों के साथ-साथ इंदौर रंग मंच से जुडी वहां मौजूद तमाम बड़ी हस्तियों को इस बात का सबूत भी दिया कि हुनर और कला किसी उम्र की मोहताज़ नहीं है, और इंदौर रंग मंच कितने सुरक्षित और काबिल युवा हाथो में है.
'वे लोग' के मंचन के दौरान 'चाहना और उसे पाना' के बीच के अंतर को अपनी दमदार आवाज में एक बेमिसाल अदाकार ने जब मंच पर प्रस्तुत किया तो यह बात वहां मौजूद हर दर्शक के हृदय तल तक पहुंच गई. शहीदों के द्वारा मुक्कमल हिंदुस्तान के सपने और क्रांति के लिए जब आक्रोश का आह्वान किया गया. तो ऐसा लगा मानो ''प्रयास 3D'' ये कलाकार शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है. आज भी चमक दमक और आधुनिक युग में रमते कला जगत की आत्मा रंगमंच ही है. कला की इस विरासत को ये युवा कलाकार संजोने की कोशिश कर रहे है. अपने प्रयासों से ''प्रयास 3D'' देश भर में ये संदेश प्रसारित भी कर रही है कि, पाश्चात्य संस्कृति में डूबते युवाओं के बीच कुछ युवा ऐसे भी है जो आज भी रंगमंच की धरोहर को अपने मजबूत कंधो पर संभाले रखने के लिए कुछ अलग कर गुजरने की तमन्ना रखते है.
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