नई दिल्ली: कांग्रेस नेता सोनिया गांधी द्वारा एक अंग्रेजी अख़बार में लिखे गए संपादकीय का हवाला देते हुए, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हाल के संसदीय चुनावों में मतदाताओं द्वारा दिए गए संदेश पर "चिंतन" न करने का आरोप लगाया। खड़गे ने आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया कि, "CPP अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी लिखती हैं कि 'इस बात का कोई सबूत नहीं है कि प्रधानमंत्री चुनावी नतीजों से सहमत हैं या मतदाताओं द्वारा भेजे गए संदेश पर विचार कर रहे हैं।'
Preaching consensus, provoking confrontation
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 29, 2024
“There is no evidence that the Prime Minister has come to terms with the electoral outcome or has reflected on the message sent to him by voters”, writes CPP Chairperson, Smt. Sonia Gandhi
Do Read: https://t.co/5ybNvt8tSc pic.twitter.com/KUy7fWk2qo
अपने ट्वीट के साथ, खड़गे ने कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा लिखा गया समाचार लेख "आम सहमति का उपदेश देना, टकराव को भड़काना" भी संलग्न किया। अंग्रेजी समाचार दैनिक में अपने संपादकीय में, गांधी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री का तीसरा कार्यकाल चुनावी नतीजों का हिस्सा नहीं था क्योंकि इसे साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। उल्लेखनीय है कि 2024 के आम चुनावों में भाजपा की जीत की संख्या 2019 की 303 सीटों और 2014 में जीती गई 282 सीटों की तुलना में काफी कम है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने मजबूत वृद्धि दर्ज की और 2019 में 52 और 2014 में 44 सीटों की तुलना में 99 सीटें जीतीं।
शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान खड़गे और अन्य विपक्षी सदस्य हंगामा और नारेबाजी करते हुए सदन के वेल में चले गए थे, जिसके परिणामस्वरूप उच्च सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें खड़गे के आचरण से पीड़ा हुई है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि विपक्ष लाखों छात्रों की चिंताओं पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है, जो राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) परीक्षा में शामिल हुए हैं, जिसमें अब सीबीआई पेपर लीक के आरोपों की जांच कर रही है। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि, परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सत्र शुरू होता है, जिसके बाद धन्यवाद प्रस्ताव में सदस्य अपनी बात रखते हैं और फिर कार्यवाही शुरू होती है, लेकिन विपक्षी सांसद धन्यवाद प्रस्ताव ही नहीं होने दे रहे, हंगामा कर रहे हैं। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी कल राहुल गांधी से कहा था कि, वे धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलने के दौरान NEET पर अपनी बात रख सकते हैं, उन्हें अनुमति है। किन्तु इसके बाद भी सदन में हंगामा होता रहा, और दोनों सदन सोमवार तक के लिए स्थगित हो गए। उल्लेखनीय है कि, सदन की हर मिनट की कार्यवाही में ढाई लाख रूपए का खर्च आता है, यानी हर घंटे के लगभग डेढ़ करोड़ रुपए, जो जनता के टैक्स का पैसा है, लेकिन हंगामे के कारण जब कार्यवाही बाधित होती है, तो ये पैसा व्यर्थ हो जाता है।
खड़गे ने कहा कि, "यह उनकी (राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ की) गलती है। मैं उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए अंदर गया था। लेकिन तब भी वे नहीं देख रहे थे, मैं ध्यान आकर्षित कर रहा था। वे केवल सत्ताधारी पार्टी को देख रहे थे। जब मैं उनका ध्यान आकर्षित करता हूं तो नियमानुसार उन्हें मेरी ओर देखना चाहिए, लेकिन इसके बजाय, उन्होंने जानबूझकर मेरा अपमान करने के लिए मुझे अनदेखा किया। तो मेरे लिए क्या बचा था? इसलिए ध्यान आकर्षित करने के लिए मुझे या तो अंदर जाना होगा या बहुत जोर से चिल्लाना होगा। इसलिए मैं निश्चित रूप से कहूंगा कि यह चेयरमैन साहब की गलती है। मैं कहता हूं कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए और इस राज्यसभा की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। इतने बड़े घोटाले हुए हैं, NEET परीक्षा हुई है, पेपर लीक हुआ है, लाखों बच्चे परेशान हैं।"
खड़गे ने कहा कि, "इसलिए लोगों की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए, हमने एक विशिष्ट चर्चा की मांग की। हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते थे, हम केवल छात्रों के मुद्दे उठाना चाहते थे...लेकिन उन्होंने इसे मौका ही नहीं दिया, इस पर ध्यान ही नहीं दिया और इसलिए हमें ऐसा करना पड़ा।" 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून को नए सदस्यों के शपथ लेने के साथ शुरू हुआ। राज्यसभा का सत्र 27 जून को शुरू हुआ।
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