विदिशा: मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की आरती कुशवाह पत्नी सुनील कुशवाह (25 साल) को ऑक्सीजन वाले बेड में भर्ती नहीं करने पर परिवार वालों ने 108 एंबुलेंस को पहले पुतली घाट घर पर बुलाया और फिर तोड़फोड़ तथा आग लगाने की धमकी देकर उसे 2 घंटे तक हाईजैक कर रखा। यही नहीं परिवार वालों ने स्वास्थ्य कर्मचारियों से एंबुलेंस में ही महिला को ऑक्सीजन भी लगवाई और ड्राइवर दीपक को अस्पताल वापस नहीं जाने दिया। इस पर ड्राइवर ने अधिकारियों को घटना के बारे में सूचित किया, तब मौके पर डायल 100 पहुंची। लगभग 2 घंटे बाद पुलिस कर्मचारियों ने बंधक बनाई गई एंबुलेंस को छुड़ाया और महिला को मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन वाले बिस्तर पर एडमिट करवाया।
सुनील कुशवाह ने बताया कि मेरी पत्नी आरती 10 दिन पहले कोरोना संक्रमित पाई गई थी। एक दिन पहले निगेटिव रिपोर्ट आई थी, मगर उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था। वह 8 माह की प्रेग्नेंट भी है। मैं शुक्रवार रात 11 बजे से एंबुलेंस को फ़ोन कर रहा था, एंबुलेंस दूसरे दिन शनिवार सुबह 9:30 बजे के बाद वहां पहुंची। इसी बीच मैंने ग्यारसपुर में कहीं से ऑक्सीजन सिलेंडर का प्रबंध किया, जब दूसरे दिन एंबुलेंस वहां पहुंची तो उसे रोककर ग्यारसपुर चलने को कहा किन्तु वे नहीं गए। मेडिकल कॉलेज में उसकी पत्नी को एडमिट नहीं किया जा रहा था। इसकी सूचना जब डायल 100 को लगी तब पुलिस मौके पर पहुंची।
अटेंडर दीपक वर्मा की मानें तो हम यहां मरीज को लेने आए थे। सुनील ने पत्नी को इसमें बिठा भी दिया, मगर एंबुलेंस को रोक लिया क्योंकि इनकी ग्यारसपुर में किसी डॉक्टर से बात हो गई थी। पीड़िता का पति एंबुलेंस के कांच तोड़ने की और एंबुलेंस को आग लगाने की धमकी भी दे रहा था। डायल 100 के पुलिस कर्मचारियों ने सुनील को समझाया। यदि ऐसे ही सभी लोग एंबुलेंस को बंधक बनाते रहे तो दूसरे पेशेंट को उपचार कैसे मिलेगा। ऐसा नहीं करने और एंबुलेंस को हाईजैक करने के मामले में प्राथमिकी भी दर्ज कराई जाएगी। वहीं मरीज के पति ने कहा कि आरती को आक्सीजन की आवश्यकता थी। इसी वजह से उसने 108 एंबुलेंस को रोक लिया था। चूंकि महिला बीमार थी और उसे आक्सीजन की जरूरत थी, इसलिए अस्पताल में लाकर एडमिट कराया है। परिजनों के खिलाफ केस दर्ज नहीं कराया गया है।
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