बीयर में नाइट्रोसेमाइन का होना हो सकता है खतरनाक

बीयर में नाइट्रोसेमाइन का होना हो सकता है खतरनाक
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बीयर के शौकीनों की दुनिया में कोई कमी नहीं है। गर्मी के मौसम में बीयर पार्टियों का चलन खूब देखने को मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीयर में एक ऐसा तत्व पाया जाता है, जिससे पूरी दुनिया आजकल डरी हुई है? यह तत्व है नाइट्रोसेमाइन, जो हमारे शरीर पर बुरा असर डाल सकता है। आइए जानते हैं कि नाइट्रोसेमाइन कितना खतरनाक है और यह बीयर में कहां से आता है।

नाइट्रोसेमाइन: शरीर पर असर: हाल ही में यूरोपियन हेल्थ एक्सपर्ट्स द्वारा की गई एक रिसर्च में पाया गया कि बीयर और प्रोसेस्ड मीट में नाइट्रोसेमाइन नाम का तत्व मौजूद होता है, जो कई तरह के कैंसर का कारण बन सकता है। खासकर लंग्स, ब्रेन, लिवर, किडनी, गला और पेट के कैंसर में इसका प्रमुख योगदान है। यूरोपियन यूनियन के हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर नाइट्रोसेमाइन लगातार शरीर में जाता रहे, तो कैंसर का खतरा सामान्य व्यक्ति की तुलना में बहुत अधिक हो सकता है।

बीयर में नाइट्रोसेमाइन कहां से आता है?: अब सवाल उठता है कि आखिर नाइट्रोसेमाइन बीयर में कैसे आता है? अगर आप सोचते हैं कि बीयर बनाने वाली कंपनियां इसे जानबूझकर मिलाती हैं, तो आप गलत हैं। असल में, यह बीयर बनाने की प्रक्रिया के दौरान खुद ब खुद बनता है। जब बीयर में मौजूद नाइट्रेट या नाइट्राइट यौगिक अमाइन नामक तत्वों से मिलते हैं, तो इनकी प्रतिक्रिया से नाइट्रोसेमाइन तैयार होता है।

बीयर में नाइट्रोसेमाइन कैसे बनता है?: बीयर के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले अवयव, जैसे हॉप्स और अन्य तत्वों से अमाइन मिलता है, जबकि नाइट्रेट या नाइट्राइट का स्रोत आमतौर पर वह पानी होता है जो बीयर बनाने में उपयोग किया जाता है। बीयर की रासायनिक प्रक्रियाओं के दौरान, इन यौगिकों की प्रतिक्रिया से नाइट्रोसेमाइन का निर्माण होता है।

माल्टिंग प्रक्रिया में नाइट्रोसेमाइन का योगदान: असल में, नाइट्रोसेमाइन का मुख्य स्रोत बीयर की माल्टिंग प्रक्रिया है। जब अनाज को बीयर बनाने के लिए गर्म किया जाता है, तो नाइट्रोजन युक्त यौगिक अमाइन में बदल जाते हैं। इसके बाद जब बीयर को पकाया जाता है, तो ये नाइट्रोजन यौगिक नाइट्रोसेमाइन में बदल जाते हैं।

महंगी और सस्ती बीयर में फर्क: बीयर बनाने वाली कंपनियां नाइट्रोसेमाइन की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल करती हैं। महंगी बीयरों में नाइट्रोसेमाइन की मात्रा बहुत कम होती है, जबकि सस्ती बीयरों में यह ज्यादा हो सकता है। सस्ती बीयर की उत्पादन प्रक्रिया में सावधानी न बरतने की वजह से इसमें नाइट्रोसेमाइन की मात्रा अधिक हो सकती है।

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