नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लंबित दया याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए अपने कार्यकाल में इनका निपटान किया है. गत साढ़े चार साल के दौरान उन्होंने सन 2000 से लंबित कुल 32 दया याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है, ये दया याचिका के मामले तीन पूर्ववर्ती राष्ट्रपति के आर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल के समय से लंबित थे. वही इससे पहले भारत के किसी राष्ट्रपति ने इतनी बड़ी संख्या में दया याचिकाओं पर फैसला नहीं लिया था.
दया याचिका के इन मामलो में उन्होंने 32 दया याचिकाओं में से 28 को खारिज कर दिया. वही मृत्युदंड वाले चार मामलों को उम्र कैद में परिवर्तन कर दिया.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा खारिच की गयी याचिकाओं में संसद आतंकी हमले के आरोपी अफजल गुरु, 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मोहम्मद अजमल कसाब और 1986 में एक परिवार के 13 सदस्यों की हत्या करने वाला गुरमीत सिंह शामिल है. इसके साथ ही 1993 के बारुदी सुरंग विस्फोट के आरोपियों की दया याचिका को भी खरीच किया गया, जिसमे विस्फोट में 22 जवानों की मौत हो गयी थी.
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