नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए Nominated कर दिया है. जंहा केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया और गृह मंत्रालय ने बीते सोमवार यानी 16 मार्च 2020 को इस आशय की अधिसूचना लागू की जा चुकी है. जारी अधिसूचना के अनुसार 'संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (1) के उपखंड (ए) और इसी अनुच्छेद के खंड (3) के तहत राष्ट्रपति राज्यसभा के Nominated सदस्यों में से एक के रिटायरमेंट की वजह से रिक्त हुई सीट पर रंजन गोगोई को नामित करते हैं.' यह सीट केटीएस तुलसी के रिटायरमेंट की वजह से रिक्त हुई है.
जानकारी के लिए हम बता दें कि गोगोई सुप्रीम कोर्ट की उस 5 सदस्यीय पीठ के अध्यक्ष थे जिसने बीते वर्ष 9 नंवबर को संवेदनशील अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया था. जिसके बाद में वह उसी महीने रिटायर हो गए थे. यह इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई रही थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की उन पीठों की भी अध्यक्षता की थी जिन्होंने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे जैसे मसलों पर फैसले सुनाए थे. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि गोगोई सुप्रीम कोर्ट में बैठे 25 न्यायाधीशों में से उन 11 न्यायाधीशों में शामिल रहे जिन्होंने अदालत की वेबसाइट पर अपनी संपत्ति का विवरण दिया था.
काटजू को होना पड़ा था शीर्ष अदालत में पेश: सूत्रों से मिली जानकारी एक अनुसार गोगोई के कार्यकाल की दूसरी ऐतिहासिक घटना 11 दिसंबर 2016 की है. इसमें केरल के चर्चित सौम्या हत्याकांड के फैसले पर ब्लाग में टिप्पणी करने पर जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के ही सेवानिवृत न्यायमूर्ति मार्कडेय काटजू को अदालत में तलब कर लिया था. देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई सेवानिवृत न्यायमूर्ति सुप्रीम कोर्ट में पेश हुआ हो और उसने बहस की हो. इतना ही नहीं बहस के बाद शीर्ष अदालत उसको अवमानना का नोटिस जारी कर दे. न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने काटजू को अवमानना नोटिस जारी करते हुए कहा था कि ब्लाग पर की गई टिप्पणियां प्रथम दृष्टया अवमाननापूर्ण हैं.
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