नई दिल्ली: महामहिम रामनाथ कोविंद ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 12,500 से ज्यादा स्थानीय निकायों और तक़रीबन 675 जिलों की व्यापक भागीदारी और 2 लाख से ज्यादा सुझावों पर विचार करने के पश्चात राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है। हमारी परंपराओं में जिज्ञासा को हमेशा प्रोत्साहित किया जाता रहा है। जिज्ञासा को 'जिगीषा' (बहस या तर्क से जीतने की इच्छा) से ज्यादा अहमियत दी गई है।
उन्होंने कहा कि मुझे ख़ुशी है कि 2018-19 के ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन में महिलाओं का फीसद पुरुषों से थोड़ा ज्यादा है। हालांकि राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और तकनीकी शिक्षा में महिला छात्रों की हिस्सेदारी पुरुषों से कम है। इसे दुरुस्त करने की जरुरत है। मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे देश के इतिहास में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी। यह न सिर्फ हमारे युवाओं के भविष्य को मजबूत करेगी बल्कि हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित करेगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति ने कहा कि NEP अंक या ग्रेड के लिए स्टूडेंट्स द्वारा रट्टा मारने की प्रक्रिया को ख़त्म करना चाहता है। यह महत्वपूर्ण सोच और जांच की भावना को बढ़ावा देना चाहता है। भारत प्राचीन काल में विश्व स्तर पर सम्मानित शिक्षा केंद्र था। तक्षशिला और नालंदा की यूनिवर्सिटी को प्रतिष्ठित दर्जा प्राप्त था। किन्तु आज भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों को ग्लोबल रैंकिंग में उच्च स्थान प्राप्त नहीं है।
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