दुनियाभर में कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नही ले रहा है. वायरस के प्रकोप के चलते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए देश के सभी राज्यपालों और उप राज्यपालों चिकित्सा राहत के वैकल्पिक उपायों के लिए सभी प्रयास करने को कहा है. उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में खाद्यान्न वितरण के उपायों पर भी विचार करने को कहा है. उन्होंने इस प्रक्रिया में निजी चिकित्सकों और गैर सरकारी संगठनों को भी शामिल करने का सुझाव दिया है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शुक्रवार को तीन घंटे चली वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रपति कोविंद ने मेडिकल विश्वविद्यालयों, रेडक्रास सोसाइटी, राहत और चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ को भी इस मुहिम से जोड़ने की सलाह दी है. इस बैठक में कम से कम 15 राज्यपालों समेत उप राज्यपाल भी शामिल हुए. केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने बताया कि विभिन्न निजी संस्थानों से जुड़े 18,000 डॉक्टर से इस वैश्विक महामारी से निपटने में सरकार की मदद कर रहे हैं. कुछ सेवानिवृत्त डॉक्टर भी राज्य सरकारों की मदद कर रहे हैं. राज्यपाल खान ने इस जानलेवा संक्रमण से निपटने में सोशल डिस्टेंसिंग की अहमियत पर बल देते हुए शायर बशीर बद्र का एक शेर पढ़ते हुए कहा, 'यूंही बेहिसाब न फिरा करो, कोई शाम घर में रहा करो.'
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इस महत्वपूर्ण बैठक में मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने राष्ट्रपति को बताया कि मध्यप्रदेश में हालात सामान्य हैं. हालांकि इंदौर में जरूर थोड़ी समस्या है. लेकिन हालात को सामान्य बनाने के लिए सरकार पूरे प्रयास कर रही है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कोरोना की समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र को इस बैठक में सर्वोच्च वरीयता पर रखा गया. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी का कहना था कि शहरी क्षेत्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन हो रह है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसके लिए सरकारी अमले और विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं को युद्धस्तर पर इसके लिए प्रयास करने पड़ रहे हैं. ग्रामीणों को समझाना पड़ रहा है कि वह दूर-दूर रहें.
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