'विचारधारा का मतभेद, जनसेवा में बाधक न बने..', विपक्ष को राष्ट्रपति की कड़ी नसीहत

'विचारधारा का मतभेद, जनसेवा में बाधक न बने..', विपक्ष को राष्ट्रपति की कड़ी नसीहत
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नई दिल्ली: संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बगैर किसी का नाम लिए विपक्ष को बड़ी नसीहत दी है। राष्ट्रपति ने कई ट्वीट कर ना केवल लोगों को संविधान दिवस के महत्व के बारे में बताया है, बल्कि इस बात पर भी जोर दिया है कि विचारधारा के मतभेद को कभी भी जनसेवा में बाधक नहीं बनना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि 'विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि वह जन सेवा के वास्तविक उद्देश्य में बाधा बने।' उन्होंने कहा कि 'सत्ता-पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों में प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है – लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने और जन-कल्याण के लिए बेहतर काम करने की होनी चाहिए। तभी इसे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा माना जाएगा। संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता नहीं समझा जाना चाहिए।' 

एक अन्य ट्वीट में राष्ट्रपति ने लिखा कि, 'हम सब लोग यह मानते हैं कि हमारी संसद 'लोकतंत्र का मंदिर' है। अतः हर सांसद की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वे लोकतंत्र के इस मंदिर में श्रद्धा की उसी भावना के साथ आचरण करें जिसके साथ वे अपने पूजा-गृहों और इबादत-गाहों में करते हैं।' उन्होंने कहा कि, 'प्रतिपक्ष वास्तव में, लोकतंत्र का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है। सच तो यह है कि प्रभावी प्रतिपक्ष के बिना लोकतंत्र निष्प्रभावी हो जाता है। सरकार और प्रतिपक्ष, अपने मतभेदों के बावजूद, नागरिकों के सर्वोत्तम हितों के लिए मिलकर काम करते रहें, यही अपेक्षा की जाती है।'

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