हमारे देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के 81 वें जन्म दिवस पर हार्दिक बधाई देते हुए हम उनके जीवन आदर्शों की ओर कदम बढ़ाते है .मुखर्जी जी का जन्म 11 दिसम्बर 1935, में पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती गाँव के एक ब्राह्मण परिवार में कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के यहाँ हुआ था.
शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ -साथ कानून की डिग्री हासिल की है. वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक भी रह चुके हैं. उन्हें मानद डी.लिट उपाधि भी प्राप्त है.उन्होंने पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया. वे बाँग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक (मातृभूमि की पुकार) में भी काम कर चुके हैं. प्रणब मुखर्जी बंगाल की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था के ट्रस्टी एवं अखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे.
राजनीतिक कैरियर
उनका संसदीय कैरियर करीब पाँच दशक पुराना है, जो 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में (उच्च सदन) से शुरू हुआ था. वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से चुने गये. 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए.
सन 1982 से 1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने जाते रहे और और सन् 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने. सन 1984 में, यूरोमनी पत्रिका के एक सर्वेक्षण में उनका विश्व के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रूप में मूल्यांकन किया गया.श्री प्रणब मुखर्जी ने सरकार तथा संसद में रहते हुए देश की अनुकरणीय सेवा के पचास वर्षों से अधिक की अवधि के अपने राजनीतिक जीवन के शिखर पर 25 जुलाई, 2012 को भारत के 13 वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया.
81 वर्षीय श्री मुखर्जी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें शासन का बेजोड़ अनुभव है और उन्हें समय-समय पर, विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्त मंत्री के रूप में सेवा करने का बेजोड़ अनुभव प्राप्त है. उन्हें 1969 से पांच बार संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) के लिए और 2004 से दो बार संसद के निम्न सदन (लोक सभा) के लिए चुना गया. वे 23 वर्षों तक पार्टी की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य रहे.
वर्ष 2004-2012 की अवधि के दौरान उन्होंने प्रशासनिक सुधार, सूचना का अधिकार, रोजगार का अधिकार, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, मैट्रो रेल आदि की स्थापना जैसे विभिन्न मुद्दों पर, इस उद्देश्य के लिए गठित 95 से अधिक मंत्री समूहों की अध्यक्षता करते हुए सरकार के लिए महत्त्वपूर्ण निर्णयों तक पहुंचने में अग्रणी भूमिका निभाई.सातवें और आठवें दशक में उन्होंने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (1975) तथा भारतीय एक्जिम बैंक के साथ ही राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (1981-82) की स्थापना में भूमिका निभाई.श्री मुखर्जी ने 1991 में केंद्र और राज्यों के बीच संसाधनों के बंटवारे का संशोधित फार्मूला भी तैयार किया था, जिसे गाडगिल-मुखर्जी फार्मूला के नाम से जाना जाता है.