मालदीव में राजनीतिक उथल पुथल मची हुई है. राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने से साफ इनकार कर दिया है और इस सब के चलते जनता सड़क पर आ गई है. सेना ने हाईअलर्ट जारी कर दिया है. जानिए इस सब के पीछे के प्रमुख कारणों को.
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद समेत 9 राजनीतिक लोगों को रिहा करने और 12 विधायकों को फिर से बहाल करने का आदेश दिया था.
राष्ट्रपति यामीन ने उन्हें पार्टी से अलग होने पर बर्खास्त कर दिया था.
सरकार ने देश की सेना से कहा है कि वे राष्ट्रपति के खिलाफ लाए गए महाभियोग को नहीं माने.
देश के अटार्नी जनरल मोहम्मद अनिल ने इस बाबत एक संदेश भी जारी किया है.
चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद ने सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है.
चीफ जस्टिस ने आरोप लगाए हैं कि उन्हें तथा साथी जज अली हामिद और जूडिशल ऐडमिनिस्ट्रेटर हसन सईद को धमकियां मिल रही हैं. जस्टिस ने कहा है कि वे रात कोर्ट में ही बिताएंगे. इसके बाद कोर्ट कैंपस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के न हटने पर देश की जनता भी सड़कों पर उतर आई है और राष्ट्रपति के अड़ियल रवैये का विरोध कर रही है.
UN और भारत समेत कई देशों ने यामीन से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने को कहा है लेकिन अब तक उन्होंने इसकी अनदेखी की है.
अब सुप्रीम कोर्ट ने लोकतांत्रिक देशों से मालदीव में कानून का राज बनाए रखने के लिए मदद की गुहार लगाई है.
कोलंबो स्थित एमडीपी के प्रवक्ता अब्दुल गफूर ने कहा है कि राष्ट्रपति यामीन ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश 36 घंटे से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी नहीं माना है. लिहाजा उन्हें अपदस्थ किया जाना चाहिए.
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