मध्य प्रदेश को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए कमलनाथ सरकार पर दबाव

मध्य प्रदेश को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए कमलनाथ सरकार पर दबाव
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भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने पोषण आहार के उत्पादन और सप्लाई में निजी कंपनियों या ठेकेदारों की भागीदारी की संभावनाओं को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिरे से नकार दिया है. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश को पूरी तरह कुपोषण मुक्त करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है. वही सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि वह एकीकृत बाल विकास परियोजनाओं के अंतर्गत टेक-होम राशन  के उत्पादन और आपूर्ति में निजी कंपनियों और ठेकेदारों की कोई भूमिका नहीं रहेगी.  

यह जानकारी मुख्यमंत्री ने रविवार को जारी बयान में बताया कि बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओ के लिए टेक-होम राशन के उत्पादन और आपूर्ति में एमपी एग्रो को कैबिनेट के निर्णय के साथ ही स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि किसी भी प्रकार से किसी निजी कंपनी और ठेकेदार की कोई भूमिका निर्धारित न की जाए. सरकार पोषण आहार के उत्पादन और आपूर्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट और मप्र हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों के क्रम में नीति और व्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. वही एक और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने बताया है कि सामान्यत: यह परंपरा रही है कि कैबिनेट के निर्णय मुख्य सचिव से विभागों को लिखित संप्रेषण होने के पश्चात् ही आदेश जारी किया जाता है. वही ऐसे निर्णय की प्रतीक्षा किए बिना आदेश जारी हुआ. सबसे पहला आदेश किसी भी विभाग को नहीं भेजा गया है. वही दिसंबर में मेरे कार्यभार संभालने के पश्चात् से ही निजी कंपनी को पोषण आहार सप्लाई का आदेश बंद हैं. कैबिनेट को लेकर जो भी आदेश था, उसे ही जारी किया गया है.

इस पुरे मामले पर हैरान करने वाली बात यह है कि वित्त और महिला बाल विकास विभाग की नकारात्मक टिप्पणी के पश्चात् भी कैबिनेट के निर्णय को बाद में बदला दिया गया है . कैबिनेट को तो इस्तीफा दे देना चाहिए. यदि महिला स्व सहायता समूह को सक्षम बनाने के लिए नए प्लांट स्थापित किए गए वही हाईकोर्ट में हलफनामा भी सरकार ने दिया था तो यह निजी कंपनियों का कौन सा दबाव था कि मुख्य सचिव ने इस निर्णय को बदलाव कर दिए गए है. एक आईएएस अधिकारी को नौकरी छोड़नी पड़ी. तो मुख्यमंत्री इसका जवाब दें. इस पर कमलनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए  शिवराज सिंह ने सवाल उठाया कि क्या यह हाईकोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करने का कुटिल प्रयास नहीं है? यह वह तीन आदेश थे, जिसमें निजी कंपनियों पर पाबंदी लगाने और फिर अंतिम आदेश में पाबंदी लगाने वाले बिंदू को हटाने का बात हुई थी. 

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