गीता पाठ से भगवान का सानिध्य प्राप्त होता है। जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानी व्यक्ति को कर्तव्य पथ से विचलित नहीं कर पाती। गीता का अभ्यासी संसार का सच जान लेने के बाद पथभ्रष्ट नहीं होता।
श्रीकृष्ण के अनमोल उपदेश:-
* गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो मन को नियंत्रित नहीं करते हैं, उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है.
* किसी के वर्तमान को देखकर उसके भविष्य का मजाक मत उड़ाओ क्योंकि समय में इतनी शक्ति है कि वो कोयले को भी धीरे-धीरे हीरे में बदल देता है.
* गीता में कहा गया है कि परमात्मा कभी किसी का भाग्य नही लिखते हैं. जीवन के हर एक कदम पर हमारी सोच, हमारा व्यहार, और हमारा कर्म ही हमारा भाग्य निर्धारित करते हैं.
* श्रीकृष्ण कहते हैं, अगर मेरा भक्त मौन होकर मेरे विश्वास पर सब सुन रहा है तो याद रहे उसके मौन का और उसके विश्वास का जवाब स्वयं मैं देता हूं…!!
* गीता में वासना, क्रोध और लालच नरक के तीन द्वार माने गए हैं. ये तीनों चीजें आत्म-विनाशकारी मानी जाती हैं.
* श्रीकृष्ण कहते हैं, न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम इस शरीर के हो. यह शरीर अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश से बना है और अंत में इसी में मिल जायेगा परन्तु आत्मा स्थिर है, फिर तुम क्या हो? भगवान कहते हैं कि हे मनुष्य! तुम अपने आपको भगवान को अर्पित कर दो. यह सबसे उत्तम सहारा है. जो इसके सहारे को जानता है, वह भय, चिन्ता और शोक से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है.
* गीता के अनुसार, किस्मत का लिखा आपसे कोई छीन नहीं सकता, अगर ईश्वर पर भरोसा है तो आपको वो सबकुछ मिलेगा जिसके आप हकदार हैं!
* व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें।
* सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता तीनों लोक में कहीं भी नहीं है।
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