नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर से संबंधित मामले में फैसला आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को कोई पत्र नहीं लिखा है। केंद्र सरकार के प्रवक्ता ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए कहा कि, 'पीएम नरेन्द्र मोदी की तरफ से देश के प्रधान न्यायाधीश को अयोध्या फैसले के संबंध में लिखा गया एक तथाकथित पत्र सोशल मीडिया में आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई भी पत्र नहीं लिखा गया है। यह पत्र नकली और द्ववेषपूर्ण है।'
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बांग्लादेश में सोशल मीडिया में पीएम मोदी के नाम से एक तथाकथित पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें मोदी ने अयोध्या फैसला आने के बाद जस्टिस रंजन गोगोई को बधाई दी है। ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस पत्र को फर्जी करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने भी इसकी आलोचना करते हुए इसे बंगलादेश और भारत के बीच दोस्ती को कमजोर करने का षड्यंत्र बताया है।
आपको बता दें कि हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत के फैसले के अनुसार विवादित 2.77 एकड़ जमीन राम मंदिर के निर्माण के लिए दी गई है, वहीं अदालत ने मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है।
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