नई दिल्ली : जजों के नाम पर कथित तौर पर रिश्वत लेने के मामले में कल सुप्रीम कोर्ट में नया नज़ारा देखने को मिला जब संविधान पीठ ने दो जजों के फैसले को यह कहकर पलट दिया कि प्रधान न्यायाधीश अदालत के प्रमुख हैं और मामलों को आवंटित करने का एकमात्र विशेषाधिकार उनके पास है.
उल्लेखनीय है कि संविधान पीठ ने न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर के पीठ के गुरुवार के आदेश को निरस्त कर दिया .जजों के नाम पर रिश्वत लेने के मामले की सुनवाई के लिए इन दो सदस्यीय पीठ ने शीर्ष अदालत के पांच सर्वाधिक वरिष्ठ जजों का संविधान पीठ गठित करने का निर्देश दिया था.
बता दें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों के संविधान पीठ ने कहा कि न तो दो जजों और न ही तीन जजों का कोई पीठ मुख्य न्यायाधीश को विशेष पीठ गठित करने का निर्देश दे सकता है.पीठ में न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय भी शामिल थे.
चीफ जस्टिस ने मीडिया के मामले की रिपोर्टिंग करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया.सीजेआई ने ने कहा वकील प्रशांत भूषण और कामिनी जायसवाल ने उन पर निराधार आरोप लगाए हैं .बता दें कि भूषण एनजीओ कैंपेन फॉर जूडिशियल एकाउंटेबिलिटी की ओर से मौजूद थे .
यह भी देखें
SC में दिल्ली पर हक़ की लड़ाई जारी
शेल्टर को लेकर, सुप्रीम कोर्ट ने किए केंद्र और राज्य से सवाल