हिमाचल में 'बाढ़ और भूस्खलन' का हाल जानने पहुंची प्रियंका गांधी, बोलीं- संसद के विशेष सत्र में उठाएंगे मुद्दा

हिमाचल में 'बाढ़ और भूस्खलन' का हाल जानने पहुंची प्रियंका गांधी, बोलीं- संसद के विशेष सत्र में उठाएंगे मुद्दा
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शिमला: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने हिमाचल प्रदेश के शिमला में समर हिल में शिव मंदिर का दौरा किया, जहां 14 अगस्त को भारी भूस्खलन हुआ था, जिसमें कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी। यहाँ उन्होंने कहा कि राज्य में लोगों को भारी नुकसान हुआ है। राज्य में भूस्खलन और बाढ़ को केंद्र सरकार को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले को विशेष सत्र के दौरान संसद में उठाया जायेगा। बता दें कि, हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन ने जून-जुलाई (24 जून - 21 जुलाई) के महीनों में भारी तबाही मचाई थी। वहीं, शिव मंदिर धंसने की घटना 14 अगस्त को हुई थी। इसके बाद से अब जाकर कांग्रेस का कोई बड़ा नेता हिमाचल पहुंचा है। शिव मंदिर धंसने की घटना के एक महीने बाद वहां पहुंची प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि, 'लोगों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। हमने कल भी कहा था कि सभी को मिलकर इसका सामना करना होगा। अगर केंद्र इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करता है, तो इससे राज्य को बहुत मदद मिलेगी। प्रतिभा सिंह ने कल उल्लेख किया था कि वह इसे संसद में उठाना चाहेंगी।'

 

प्रियंका ने कहा कि, 'हमें नहीं पता कि यह विशेष सत्र किस बारे में होगा या क्या वे इन मुद्दों को सामने आने देंगे। लेकिन हम चर्चा कर रहे थे कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो भी प्रतिनिधित्व केंद्र सरकार को जाना चाहिए, और हम सभी करेंगे इसमें अपनी ताकत लगाएं और उन्हें समझाने की कोशिश करें कि उन्हें इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए।' प्रियंका गांधी वाड्रा ने आगे कहा कि यह राजनीति का समय नहीं है और इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सभी को मदद के लिए एक साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि, 'यह एक ऐसा समय है जब हम राजनीति नहीं करना चाहते हैं, और मेरा मानना है कि कोई और भी ऐसा नहीं करता है। यह समय यह देखने का नहीं है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है या भाजपा की। इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और सभी को मदद के लिए साथ आना चाहिए।'

प्रियंका गांधी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घोषणा की है कि राज्य सरकार किस तरह से पीड़ितों की मदद करेगी और पीड़ितों की एक सूची तैयार की गई है, जिन्हें मुआवजा दिया जाना है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र भूस्खलन के कारण राज्य को हुए नुकसान की भयावहता को समझ नहीं पा रहा है। उन्होंने कहा कि, 'लोगों को गंभीर नुकसान हुआ है, कई घर बह गए हैं और यहां तक कि लेह-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग भी बह गया है। इस घटना से जुड़ी प्रदेश की भावनाएं देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं। मैं जहां भी जा रही थी, मैंने देखा कि महिलाएं सड़क बनाने में मदद करने की कोशिश कर रही थीं। मैंने कुछ छोटे व्यवसायियों को स्वयं नुकसान सहने के बावजूद जरूरतमंदों की मदद के लिए चेक और आर्थिक सहायता देते देखा। राज्य सरकार ने प्रयास करते समय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखा।

प्रियंका ने कहा कि, कल, मैंने देखा कि केंद्र ने अमेरिका से आयात होने वाले सेब पर आयात शुल्क कम कर दिया है। विशेषकर शिमला में जो व्यापारी सेब खरीद रहे हैं, सरकार ने उनकी कीमत कम कर दी है, और परिणामस्वरूप, हिमाचल प्रदेश में किसानों को सेब के लिए कम पैसे मिल रहे हैं। गांधी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले पर गौर करना चाहिए और देखना चाहिए कि लोगों की मदद कैसे की जा सकती है। हिमाचल में भूस्खलन के कारण नुकसान झेलने वाले किसानों की मदद करने के बजाय, केंद्र अमेरिका के किसानों की मदद कर रहा है। हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले को देखें और देखें कि राज्य के लोगों की कैसे मदद की जा सकती है।

वहीं, प्रियंका गांधी के दौरे पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और विधायक बलवीर वर्मा और विवेक शर्मा ने कहा है कि शुक्र है कि कांग्रेस का कोई बड़ा नेता हिमाचल की सुध लेने तो आया। उन्होंने कहा कि भारी बारिश से हिमाचल प्रदेश में काफी नुकसान हुआ है। दो महीने बाद कांग्रेस की दिग्गज नेता प्रियंका गांधी को समय तो मिला कि वह हिमाचल आईं, इसके लिए उन्हें धन्यवाद करते हैं, पर लगता है कि अभी तक कांग्रेस पार्टी के नेता सनातन धर्म पर हमला करने में व्यस्त थे, इसलिए उनको वक़्त नहीं मिला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने सत्ता पाने के लिए अनेक घोषणाएं कीं थीं। हिमाचल प्रदेश में 22 लाख बहनें 1,500 रुपये प्रति महीना की गारंटी का अब तक इंतजार ही कर रही हैं। 

नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा है कि आपदा की वजह से प्रदेश में हजारों लोगों के घर टूट गए हैं। फसलें तबाह हो गई हैं। खेत बह गए हैं। लोग आपदा राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं। आपदा राहत शिविरों की हालत किसी से छिपी नहीं है। सरकार उनकी मदद करने के बजाय रोज़ाना कोई नई घोषणाएं कर रही है, लेकिन जनता को घोषणाएं नहीं मदद चाहिए।

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