'संविधान हत्या दिवस' पर भड़कीं प्रियंका गांधी, बोलीं- हम इसकी रक्षा के लिए खड़े रहेंगे

'संविधान हत्या दिवस' पर भड़कीं प्रियंका गांधी, बोलीं- हम इसकी रक्षा के लिए खड़े रहेंगे
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नई दिल्ली: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। यह घोषणा 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार के दौरान लगाए गए आपातकाल की याद में की गई है।

शनिवार को अपने बयान में वाड्रा ने एनडीए सरकार पर अपने कामों से लगातार संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जो लोग संविधान में विश्वास करते हैं, वे ऐसी नकारात्मक राजनीति के खिलाफ इसकी रक्षा के लिए खड़े होंगे। बता दें कि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को ऐलान किया था कि 25 जून को हर साल 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाया जाएगा, क्योंकि लगभग पांच दशक पहले इसी दिन आपातकाल लगाया गया था। इस कदम से काफी विवाद और विरोध हुआ है।

प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर संविधान की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने लिखा, "जो लोग अपने फैसलों के माध्यम से संविधान की भावना पर हमला करते हैं, वे नकारात्मक राजनीति के साथ दिन को चिह्नित करेंगे, लेकिन हम, जो संविधान में विश्वास करते हैं, इसकी रक्षा करेंगे।" 

क्यों लगाया गया था आपातकाल ?

बता दें कि, 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 21 महीने का आपातकाल लगाया था। क्योंकि, इलाहबाद हाई कोर्ट ने उन्हें चुनाव में गड़बड़ी करने का दोषी पाते हुए उनका चुनाव रद्द कर दिया था और इंदिरा गांधी को PM पद से इस्तीफा देना था। लेकिन उन्होंने इस्तीफा ना देकर इमरजेंसी लगाने का विकल्प चुना, इस दौरान हज़ारों विरोधियों को जेल में डाल दिया गया, आम जनता के मौलिक अधिकारों को कुचल दिया गया, प्रेस दफ्तरों की बिजली काट दी गई, ताकि अख़बार में सरकार विरोधी कोई खबर ना छपे। इंदिरा के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में देशभर में नसबंदी का अभियान चला, बताया जाता है कि इस दौरान लोगों को जबरन बसों से उतारकर, लालच देकर, या अन्य तरीकों से 60 लाख से अधिक लोगों की नसबंदी कर दी गई थी। इससे पहले 1962 और दूसरा 1971 में भारत में इमरजेंसी लगी थी, लेकिन उस समय युद्ध चल रहा था और इसका जनता तथा नेताओं पर अधिक प्रभाव भी नहीं पड़ा था। 

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